"दामोदरगुप्त": अवतरणों में अंतर
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दामोदरगुप्त के पिता कुमारगुप्त (तृतीय) ने मौखरियों (ईशानवर्मा) को युद्ध में परास्त कर अपने को मध्य भारत को एक प्रमुख शक्ति बना लिया। उसके समय से परवर्ती गुप्त सामंत न रहकर संभवत: पूर्ण स्वतंत्र बन गए। लगभग 560 ई. में कुमारगुप्त के मरने पर दामोदर गुप्त राजा हुआ। अपसड के अभिलेख से ज्ञात होता है कि "मंदार की तरह उसने अपने शत्रुओं को मार डाला" (हताद्विष:)। किंतु साथ ही यह भी कहा गया है कि युद्ध में ही वह मूर्छित हो गया। (संमूर्छित: सुखघूर्वरनामेति) और कदाचित् वहीं मर भी गया। अंतिम विजय किसके हाथों रही, इस बात पर विद्वानों में मतभेद हैं। किंतु उसी अभिलेख में यह कहा गया है कि मौखरि सेना छिन्न-भिन्न हा गई (यो मौखरे: समितिषूद्धतहूणसैन्यवल्गत्घटाविघटयनुरुवारणानाम्)। उससे दामोदर गुप्त की विजय का अनुमान लगाया जा सकता है। उस युद्ध में दामोदर गुप्त का शत्रु मौखरिराज शरवर्मन था, यह प्रतीत होता है।
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