"पुष्य": अवतरणों में अंतर

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==पुष्य नक्षत्र के जातक==
पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह होता है । शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव व व्यवहार कैसा होता है आइये इस पर चर्चा करते हैं।
 
ज्योतिर्विदों के अनुसार मनुष्य के जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का व्यापक असर पड़ता है। यह प्रभाव सिर्फ जातक की प्रकृति को ही नहीं अपितु भविष्य को भी काफी हद तक निर्धारित करता है। नक्षत्रों में राजा के समान माना जाने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
 
 
 
ज्योतिर्विदों का मत है पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक विलक्षण प्रतिभा का धनी होता है तथा संसार में अपनी अलग ही पहचान बनाता है। पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग सर्वगुण संपन्न, भाग्यशाली तथा अतिविशिष्ठ होते हैं। दिखने में यह सुदर्शन, स्वस्थ्य, रूपवान, सामान्य कदकाठी के तथा चरित्र में विद्वान, चपल, स्त्रीप्रिय, वाकपटु होते हैं।
 
 
 
यदि यह नक्षत्र शुभग्रहों से युक्त या उनके प्रभाव में हो तो ऐसे लोग धनधान्य से परिपूर्ण, उच्च पदासीन, अभिनेता, चित्रकार, वकील, डॉक्टर या प्रशासनिक सेवा में होते हैं।
 
ज्योतिषशास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है । वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है । इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा एवं मदद करना अच्छा लगता है।। इन नक्षत्र के जातक को बाल्यावस्था में काफी मुश्किलों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। कम उम्र में ही विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरने के कारण युवावस्था में कदम रखते रखते परिपक्व हो जाते हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पुष्य" से प्राप्त