"पुष्य": अवतरणों में अंतर

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पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण का अक्षर 'हू' है. द्वितीय चरण का अक्षर 'हे' है. तृ्तीय चरण का अक्षर 'हो' है. चतुर्थ चरण का अक्षर 'ड' है. पुष्य नक्षत्र की योनि मेष है. पुष्य नक्षत्र को ऋषि मरीचि का वंशज माना गया है.
 
==गुरु पुष्य योग==
एक आम आदमी भी इस शुभ महूर्त का चयन कर सबसे उपयुक्त लाभ प्राप्त कर सकता है। और अशुभता से बच सकता है।
 
अपने जीवन में दिन-प्रतिदिन सफलता की प्राप्ति के लिए इस अद्भुत महूर्त वाले दिन किसी भी नये कार्य को जेसे नौकरी, व्यापार, या परिवार से जुड़े कार्य, बंद हो चुके कार्य शुरू करने के लिये एवं जीवन के कोई भी अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र में कार्य करने से 99.9% निश्चित सफलता कि संभावना होति है।
 
गुरुपुष्यामृत योग बहोत कम बनता है जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब बनता है गुरु पुष्य योग।
 
गुरुवार के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है।
 
पुष्य नक्षत्र भी सभी प्रकार के शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से जुडे कार्यो के लिये अति शुभ माना गया है।
 
जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता तब बन जाता है अद्भुत एवं अत्यंत शुभ फल प्रद अमृत योग।
 
एक साधक के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं “गुरुपुष्यामृत योग“।
 
इस दिन विद्वान एवं गुढ रहस्यो के जानकार मां महालक्ष्मी कि साधना करने कि सलाह देते है।
 
इस खास दिन साधना करने पर बहोत अच्छे एवं शीघ्र परीणाम प्राप्त होते है। मां महालक्ष्मी का आह्वान कर उनकी कृपा द्रष्टि से समृद्धि और शांति प्राप्त कि जासकती है।
 
गुरुपुष्यामृत योग के लिये यह यह भी कहा जाता है कि यदि कोइ व्यक्ति अपने किसी कार्य उद्देश्य मे सिद्धि चाहता है। उसे इस दिन अपने इष्ट भगवान से इच्छापूर्ति हेतु प्राथना (पूजा-अर्चना) अवश्य करनी चाहिये एसा करने से मनचाहि सिद्धि निश्चित रूप से फलप्रद होती है।
 
 
गुरुपुष्यामृत योग पूजा-अर्चना/मंत्र सिद्धि/तंत्र सिद्धि/यंत्र सिद्धि/साधना/संकल्य जेसे के कार्य इस दिन करने से उत्तम सफलता मिलती है।
 
व्यक्ति की सफलता मे वृद्धि होत है। दुर्भाग्यशाली व्यक्ति पर किये गये तांत्रिक प्रभाव को दुर कर उसे दुर्भाग्य से मुक्त किया जासकता है।
 
==देखिये==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पुष्य" से प्राप्त