"गंगा नहर": अवतरणों में अंतर

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इस नहर प्रणाली से [[उत्तर प्रदेश]] और [[उत्तराखंड]] के दस जिलों की लगभग 9000 किमी² उपजाऊ कृषि भूमि सींची जाती है। आज यह नहर प्रणाली इन राज्यों में कृषि समृद्धि का मुख्य स्रोत है, और दोनो राज्यों के सिंचाई विभागों द्वारा इसका अनुरक्षण बड़े मनोयोग से किया जाता है।
 
==संरचना==
प्रशासनिक रूप से गंगा नहर को [[ऊपरी गंगा नहर]] जो अपनी कई शाखाओं के साथ [[हरिद्वार]] से लेकर [[अलीगढ़]] तक है और, [[निचली गंगा नगर]] जो अलीगढ़ से नीचे के भाग में स्थित है, में विभाजित किया गया है।
===ऊपरी गंगा नहर===
ऊपरी गंगा नहर ही मूल गंगा नहर है जो हरिद्वार में [[हर की पौढ़ी]] से शुरु होकर, [[मेरठ]], [[बुलंदशहर]] से अलीगढ़ में स्थित नानु तक जाती है जहां से यह [[कानपुर]] और [[इटावा]] शाखाओं में बंट जाती है।
गंगा नहर के साथ साथ चलने वाला एक राजमार्ग कई बार प्रस्तावित किया गया है। 2010 में ऐसा ही एक प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि प्रस्तावित राजमार्ग के निर्माण से लगभग एक लाख वृक्ष प्रभावित होते जिसके कारण, इस क्षेत्र की वनस्पतियों को नुकसान पहुँचता और वन्य जीवन के प्राकृतिक पर्यावास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। यह प्रस्तावित एक्सप्रेसवे (आशुगमार्ग) कुछ स्थानों पर तो [[हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य]] की सीमा से सिर्फ 500-600 मीटर ही दूर था। दो सड़कें एक तो [[राष्ट्रीय राजमार्ग-58]] और दूसरी कांवड़ मार्ग पहले से ही आवागमन के लिए उपलब्ध हैं। एक पर्यावरण कार्यकर्ता विजयपाल बघेल दृढ़ता से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
 
===निचली गंगा नहर===
==इतिहास==
== संदर्भ ==
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