"गंगा नहर": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 13:
गंगा नहर के साथ साथ चलने वाला एक राजमार्ग कई बार प्रस्तावित किया गया है। 2010 में ऐसा ही एक प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि प्रस्तावित राजमार्ग के निर्माण से लगभग एक लाख वृक्ष प्रभावित होते जिसके कारण, इस क्षेत्र की वनस्पतियों को नुकसान पहुँचता और वन्य जीवन के प्राकृतिक पर्यावास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। यह प्रस्तावित एक्सप्रेसवे (आशुगमार्ग) कुछ स्थानों पर तो [[हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य]] की सीमा से सिर्फ 500-600 मीटर ही दूर था। दो सड़कें एक तो [[राष्ट्रीय राजमार्ग-58]] और दूसरी कांवड़ मार्ग पहले से ही आवागमन के लिए उपलब्ध हैं। एक पर्यावरण कार्यकर्ता विजयपाल बघेल दृढ़ता से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
 
===निचली गंगा नहर===
नरोरा बांध से एक वाहिका (चैनल) नहर प्रणाली को '''नानू''' से 48 किमी नीचे से काटती है और [[सेंगर नदी]], [[सेरसा नदी]] और [[मैनपुरी जिला|मैनपुरी जिले]] के [[शिकोहाबाद]] को पार कर आगे बढ़ती है, और गंगा नहर की '''भोगनीपुर शाखा''' कहलाती है। इसे 1880 में खोला गया था। यह शाखा, मैनपुरी जिले के जेरा गांव से शुरु होकर 166 किमी की दूरी के बाद कानपुर पहुंचती है। 64 किलोमीटर की दूरी पर बलराय सहायक शाखा जो एक 6.4 किमी लंबी वाहिका है, अतिरिक्त पानी को यमुना नदी में छोड़ती है। इस शाखा में सहायक वाहिकाओं की कुल दूरी 386 किलोमीटर है।
 
भोगनीपुर शाखा, कानपुर और इटावा शाखाओं के साथ निचली गंगा नहर के नाम से जानी जाती है। नानू और नरोरा से निकली वाहिका जहां नहर प्रणाली को काटती है के बीच स्थित पुरानी कानपुर और इटावा शाखाओं के पुराने चैनलों जिन्हें "स्टंप” कहा जाता है को निचली ग़ंगा नहर में कम पानी होने की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। नहर की मुख्य शाखा कानपुर (आईआईटी कानपुर के पीछे से) से गुजरने के बाद कई उपशाखाओं में बंट जाती है। एक उपशाखा कानपुर जल संस्थान जो [[श्री राधाकृष्ण मंदिर (कानपुर)|श्री राधाकृष्ण मंदिर]] के पीछे स्थित है, तक जाती है।
 
==इतिहास==
== संदर्भ ==