"ज्वारभाटा बल": अवतरणों में अंतर
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==पृथ्वी और समुद्रों में==
[[Image:Saturn-cassini-March-27-2004.jpg|thumbnail|left|180px|शनि के [[उपग्रही छल्ले]] ज्वारभाटा बल की वजह से जुड़कर उपग्रह नहीं बन जाते]]
जब [[चन्द्रमा]] पृथ्वी पर अपने [[गुरुत्वाकर्षण]] का प्रभाव डालता है तो जो उसके सबसे समीप का समुद्र है, उसका पानी चन्द्रमा की ओर उठता है। इस से उस इलाक़े में ज्वार आता है (यानि पानी उठता है)। पृथ्वी के दाएँ और बाएँ तरफ का पानी भी खिचकर सामने की ओर जाता है, जिस से उन इलाक़ों में भाटा आता है (यानि पानी नीचे हो जाता है)। पृथ्वी के पीछे का जो पानी है वह चन्द्रमा से सब से दूर होता है और खिचाव कम महसूस करता है, जिस से वहां भी ज्वार रहता है। चन्द्रमा के ज्वारभाटा बल का असर पानी तक सीमित नहीं। पृथ्वी की ज़मीन पर भी इसका असर होता है। अगर पूरा असर देखा जाए तो ज्वारभाटा बल से पृथ्वी का गोला थोड़ा पिचक सा जाता है।
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