"रोमन लिपि": अवतरणों में अंतर

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== रोमन लिपि की अवैज्ञानिकता ==
* रोमन लिपि में एक ही अल्फाबेटअल्फ़ाबेट के कई उच्चारण होते हैं। जैसे '''c''' कहीं 'क' कहीं 'च' कहीं 'स' होता है।
 
* एक ही उच्चारण कई अल्फाबेट्स या उनके समूह से होता है - जैसे '''क''' का उच्चारण 'k' से (kill), 'ch' से (school) , 'C' से (Coat),
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* बहुत से अल्फाबेट उच्चारित ही नहीं होते (silent रहते हैं) - जैसे listen का उच्चारण 'लिसेन्' होता है नकि 'लिस्टेन' ।
 
* अल्फाबेटोंअल्फ़ाबेटों का नाम कुछ है और उनका उच्चारण कुछ और होता है। जैसे 'h' का नाम "एच" और उच्चारण "ह" होता है।
 
* रोमन में 'स्माल लेटर' और 'कैपिटल लेटर' की झंझट है। कैपिटल लेटर के प्रयोग बहुत कम हैं तथा ये काम 'स्माल लेटर' से भी हो सकते थे। उदाहरण के लिये व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का आरम्भ कैपिटल लेटर से करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। इसी प्रकार वाक्य के आरम्भ का पहला वर्ण कैपिटल से लिखने का भी कोई औचित्य नहीं है। (बोलने में तो ऐसा नहीं कर सकते, फिर लिखने में क्यों?)
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* अक्षरों का आकार छोटा-बड़ा होता है।
 
* बहुत सी ध्वनियों के लिये कोई अल्फाबेटअल्फ़ाबेट नहीं है। जैसे च, श, थ़, वग़ैराह।
 
* कई अल्फाबेटअल्फ़ाबेट एक-दूसरे से काफीकाफ़ी मिलते-जुलते हैं (विशेषत: 'कर्सिव लेखन में) जिससे एक के बजाय दूसरे का भ्रम होता है।
 
== यह भी देखें ==