"कमल मंदिर (बहाई उपासना मंदिर)": अवतरणों में अंतर

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[[Image:New delhi temple.jpg|thumb|250px|right|कमल मंदिर, दिन में]]
[[Image:Bahai-house-of-worship-delhi2.jpg|thumb|250px|मंदिर का दूरविहंगम दृश्य]]
मंदिर का उद्घाटन [[२४ दिसंबर]] [[१९८६]] को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर [[१ जनवरी]] [[१९८७]] को खोला गया। इसकी कमल सदृश आकृति के कारण इसे कमल मंदिर या लोटस टेंपल के नाम से ही पुकारा जाता है। बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से एक है जो गौरव, शांति एवं उत्कृष्ठ वातावरण को ज्योतिर्मय करता है, जो किसी भी श्रद्धालु को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए अति आवश्यक है। उपासना मंदिर मीडिया प्रचार प्रसार और श्रव्य माध्यमों में आगंतुकों को सूचनाएं प्रदान करता है। मंदिर का उद्घाटन [[२४ दिसंबर]] [[१९८६]] को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर [[१ जनवरी]] [[१९८७]] को खोला गया। तब से इस मंदिर को लोटस टेंपल के नाम से ही पुकारा जाता है। मंदिर में पर्यटकों को आर्किषत करने के लिए विस्तृत घास के मैदान, सफेद विशाल भवन, ऊंचे गुंबद वाला प्रार्थनागार और प्रतिमाओं के बिना मंदिर से आकर्षित होकर हजारों लोग यहां मात्र दर्शक की भांति नहीं बल्कि प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने भी आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे पर पांच मिनट के लिए आयोजित की जाती है। गर्मियों में सूचना केंद्र सुबह ९:३० बजे खुलता है, जो शाम को ६:३० पर बंद होता है। जबकि र्सिदयोंसर्दियों में इसका समय सुबह दस से पांच होता है। इतना ही नहीं लोग उपासना मंदिर के पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें भी पढ़ते हैं और उनपर रिसर्चशोध भी करने आते हैं।
 
==स्थापत्य==