"मूल अधिकार": अवतरणों में अंतर

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वे अधिकार जो लोगों के जीवन के लिये अति-आवश्यक या मौलिक समझे जाते हैं उन्हें '''मूल अधिकार''' ((fundamental rights) कहा जाता है। प्रत्येक देश के लिखित अथवा अलिखित [[संविधान]] में नागरिक के मूल अधिकार को मान्यता दी गई है। ये मूल अधिकार नागरिक को निश्चात्मक (positive) रूप में प्राप्त हैं तथा राज्य की सार्वभौम सत्ता पर अंकुश लगाने के कारण नागरिक की दृष्टि से ऐसे अधिकार विषर्ययात्मक (negative) कहे जाते हैं। मूल अधिकार का एक दृष्टांत है "राज्य नागरिकों के बीच परस्पर विभेद नहीं करेगा"। प्रत्येक देश के संविधान में इसकी मान्यता है।
 
मूल अधिकारों क सर्वप्रथम विकास ब्रिटेन में हुआ जब १२१५ नें सम्राट जॉन को ब्रिटिश जनता ने प्राचीन स्वतंत्रताओं को मान्यता प्रदान करेने हेतु "'''[[मैग्ना कार्टा]]'''" पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर दिया था ।
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* संगठित होने की स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of association)
* भाषण की स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of speech)
* कानून के समक्ष समानता का अधिकार
* विचारों की स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of thought)
* मतदान का अधिकार
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==इन्हें भी देखें==
*[[भारत में मूल अधिकार]]
 
[[श्रेणी:कानून]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
 
[[de:Grundrechte]]