"समुच्चय सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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'''समुच्चय सिद्धान्त''' (set theory), [[गणित]] की एक शाखा है जो समुच्चयों का अध्ययन करती है। वस्तुओं के संग्रह (collection) को समुच्चय कहते हैं। यद्यपि '''समुच्चय''' के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की वस्तुओं का संग्रह सम्भव है, किन्तु समुच्चय सिद्धान्त मुख्यतः गणित से सम्बन्धित समुच्चयों का ही अध्ययन करता है। स्थूल रूप से अंग्रेजी समुच्चय के पर्याय सेट (set), ऐग्रिगेट (aggregate), क्लास (class), डोमेन (domain) तथा टोटैलिटी (totality) हैं। समुच्चय में अवयवों का विभिन्न होना आवश्यक है।
 
 
[[प्रथम श्रेणी के तर्क]] (first-order logic) से सुव्यवस्थित (formalized) किया हुआ समुच्चय सिद्धान्त आज गणित का सर्वाधिक प्रयुक्त आधारभूत तन्त्र है। समुच्चय सिद्धान्त की भाषा गणित के लगभग सभी वस्तुओं (यथा- [[फलन]]) को परिभाषित करने के काम आती है। समुच्चय सिद्धान्त के आरम्भिक कांसेप्ट इतने सरल हैं कि इन्हें प्राथमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी पढाया जा सकता है।
 
 
== इतिहास==
आधुनिक समुच्चय सिद्धान्त का आरम्भ जार्ज कैंटर (Georg Cantor) एवं डेड्काइन्ड (Dedekind) ने सन १८७० में किया।
 
 
==मौलिक अवधारणाएँ एवं परिभाषाएँ==
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समुच्चयों पर मूल क्रियाएँ ये हैं : तार्किक (logical) योग, तार्किक गुणन, तार्किक व्यकलन। दो समुच्चयों का योग '''A + B''', जिसे '''AUB''' अर्थात् '''A और B का संघ''' (union) भी कहते हैं, उन सभी अवयवों का, जो A और B दोनों में या किसी एक में हों, समुच्चय है। दो समुच्चयों का गुणनफल '''A.B''', जिसे '''A∩B''' भी लिखते हैं और जिसे '''A तथा B का सर्वनिष्ठ''' (intersection) कहते हैं, उन सभी अवयवों का, जो A तथा B दोनों के सदस्य हैं, समुच्चय है। '''अंतर''' '''A-B''' उन अवयवों का, जो A में हैं किंतु B में नहीं हैं समुच्चय है। यदि '''B ⊂ A''', तो A-B को A के प्रति B का संपूरक (complement), कहते हैं। तार्किक योग और गुणन सामान्य बीजगणित के [[साहचर्य]] (associative), [[क्रमविनिमेय]] (commutative) और [[वितरण]] (distributive) नियमों का पालन करते हैं ।
 
 
[[श्रेणी:गणित]]
[[श्रेणी:गणितीय तर्क]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
 
[[an:Teoría de conchuntos]]