"सूर्य नमस्कार": अवतरणों में अंतर
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'''सूर्य नमस्कार''' योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के
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== सूर्य नमस्कार मंत्र ==
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सूर्य नमस्कार में '''बारह''' मंत्र उचारे जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है।अरेक मंत्र का एक ही सरल अर्थ है- '''सूर्य को (मेरा) नमस्कार है'''। सूर्य नमस्कार के बारह स्थितियों या चरणों में इन बारह मंत्रों को उचारा जाता है।
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(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।
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(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।
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=== सूर्यनमस्कार प्रक्रिया क्रम ===
== सूर्यनमस्कारांतील आसने ==
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| ५ || [[चतुरंग दंडासन]] || उच्छवास || [[चित्र:5adho mukha shvanasana.JPG|135px]]
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| ६ || [[अष्टांग नमस्कार]] || रोखा || [[चित्र:
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| ७ || [[भुजंगासन]] || श्वास || [[चित्र:
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| ८ || [[अधोमुक्त श्वानासन]] || उच्छवास || [[चित्र:5adho mukha shvanasana.JPG|125px]]
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[[श्रेणी:योग]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
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[[als:Sonnengruss]]
[[cs:Pozdrav slunci]]
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