"लालमणि मिश्र": अवतरणों में अंतर

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==संगीत शिक्षा-शास्त्री==
भारत वापस पहुँचने पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सर्वाधिक ख्यात संगीत संस्थान, "अखिल भारतीय गन्धर्व मंडल महविद्यालय''", बम्बई का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया। किंतु अपने नगरवासियों का अनुरोध न टाल पाने के कारण सन 1956 में ही उन्हें कानपुर लौट कर स्वयम द्वारा स्थापित 'गांधी संगीत महाविद्यालय' का प्राचार्य पद सम्भालना पड़ा।
[[चित्र:LalmaniMisra_NancyN_StephenS.jpg|thumb|right|स्टीफेन स्लावक तथा नैंसी नेलबैंडियन डॉ लालमणि मिश्र से सीखते हुए]]
इसी दौरान सन 1950 में काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणासी में पण्डित ओँकार नाथ ठाकुर के प्राचार्यत्व में संगीत एवं ललित कला महाविद्यालय की स्थापना हो चुकी थी। सन 55-56 तक प्रारम्भिक समस्याओं से उबर यह विकास के लिए तैयार था। इस की पुनर्संरचना के लिये तत्कालीन कुलपति डॉ सर सी पी रामास्वामी की प्रेरणा से योजना बनायी गयी। पण्डित ओँकार नाथ ठाकुर के आग्रह पर में लालमणि मिश्र तीसरी बार कानपुर छोड़ने को बाध्य हुए और सन 1957 में वाराणासी पहुँच महाविद्यालय में रीडर का पदभार ग्रहण किया।