"ज़": अवतरणों में अंतर
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कई पश्चिमी पहाड़ी भाषाओँ में भी 'ज़' प्रचलित है, मसलन हिमाचल की कुछ पहाड़ी भाषाओँ में 'आज' को अक्सर 'आज़' ही बोला जाता है।
कुछ पश्चिमी हिन्दीभाषी क्षेत्रों में 'ज़' और 'ज' की मुक्त [[सहस्वानिकी]] देखी जाती है जिसमें बोलने वाले अपनी पसंद के अनुसार 'ज' और 'ज़' का प्रयोग करते हैं और कभी 'ज़' की जगह 'ज' और कभी 'ज' की जगह 'ज़' बोल देते हैं -
*'लहजे' की जगह 'लहज़ा' बोल देते हैं
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