"तरल गतिकी": अवतरणों में अंतर

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'''तरल गतिकी''' [[तरल यांत्रिकी]] की एक शाखा है। इसका प्रयोग तगिशील [[तरल|तरलों]] (द्रव तथा गैस) की प्रकृति तथा उसपरउस पर लगने वाले बलों के आकलन के लिए किया जाता है । जटिल तरल गतिकी के सवालों के हल के लिए [[गणकीय तरल गतिकीतरलगतिकी]] का प्रयोग होता है जिसमें संगणकों के सहारे तरल समीकरणों का सांख्यिकीयसंख्यात्मक हल किया जाता है ।
 
तरलगतिकी का मूल समीकरण [[सातत्य समीकरण]] (equation of continuity) कहलाता है जो निम्न प्रकार से लिखा जाता है-
तरल गतिकी में प्रयुक्त गणितीय समीकरणों में [[नेवियर स्टोक्स समीकरण]] सबसे विवरित रूप है । इसके सरलीकृत रूपों को कई नामों से जाना जाता है । तरलों का बलों के प्रति आचरण उनके घनत्व, श्यानता तथा अन्य गुणों पर निर्भर करता है ।
 
:<math>\frac{\partial \rho}{\partial t} + \operatorname{div} \left(\rho \vec v\right) = 0</math>
 
तरल गतिकी में प्रयुक्त गणितीय समीकरणों में [[नेवियर स्टोक्स समीकरण]] सबसे विवरितसामान्य (generalised) रूप है । इसके सरलीकृत रूपों को कई नामों से जाना जाता है । तरलों का बलों के प्रति आचरण उनके [[घनत्व]], [[श्यानता]] तथा अन्य गुणों पर निर्भर करता है । यदि द्रव की श्यानता बहुत कम हो तो घर्षण बलों को नगण्य मानते हुए छोड़ा जा सकता है। इस प्रकार प्राप्त समीकरण '''यूलर का समीकरण''' कहलाता है जो इस प्रकार है-
 
:<math>\frac{\partial \vec v}{\partial t} + \left(\vec v\cdot\nabla\right) \vec v = -\frac{\nabla p}{\rho}</math>
 
==अन्य भाषाओँ में==