"परमदानव तारा": अवतरणों में अंतर

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==लक्षण==
परमदानव तारा कहलाने के लिए किसी तारे के [[निरपेक्ष कांतिमान]] (चमक) को -७ [[खगोलीय मैग्निट्यूड|मैग्निट्यूड]] से अधिक होना चाहिए (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है) और बहुत ही भीमकाय होना चाहिए। जिन तारों का गैसमंडल बहुत विशाल होता है उनके [[वर्णक्रम]] (स्पॅकट्रम) में ६५६।२८६५६.२८ नैनोमीटर के [[तरंग दैर्घ्य]] (वेवलॅन्थ़) पर Hα नाम की एक लकीर शामिल होती है जो [[हाइड्रोजन]] गैस की एक विशेष उत्तेजना से पैदा होती है। इसलिए वैज्ञानिक परमदानवों की पहचान के लिए उनकी चमक और Hα की मौजूदगी की परख करते हैं।<ref>{{cite journal| bibcode=1998A&ARv...8..145D| title = The yellow hypergiants |author= C. de Jager| year=1998| journal = Astronomy and Astrophysics Review| volume = 8| issue = 3| pages= 145–180| doi = 10.1007/s001590050009}}</ref>
 
परमदानवों में [[सूरज]] से १००-२६५ गुना द्रव्यमान होता है, यानि १००-२६५ [[सौर द्रव्यमान|M<sub>☉</sub>]] का द्रव्यमान होता है। उनकी चमक [[सूरज की चमक]] से लाखों-करोड़ों गुना ज़्यादा होती है। अलग-अलग परमदानवों का सतही तापमान एक दुसरे से बहुत भिन्न होता है और ३,५०० [[कैल्विन]] से लेकर ३५,००० कैल्विन तक हो सकता है। परमदानव अंदरूनी रूप से अस्थाई होते हैं इसलिए उनकी चमक समय के साथ-साथ बदलती रहती है। इतना अधिक द्रव्यमान होने से उनकी उम्र भी कम होती है - जहाँ हमारे सूरज (जो एक [[मुख्य अनुक्रम]] का बौना तारा है) को १० [[अरब (संख्या)|अरब]] साल की आयु मिली है वहाँ महादानव तारे कुछ दसियों लाख साल ही जीते हैं। इतनी कम आयु के कारण परमदानव तारे बहुत कम ही मिलते हैं।