"शिबू सोरेन": अवतरणों में अंतर

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मतदाता अपना मन तात्कालिक कारणों, स्थानीय मुद्दों, निजी स्वार्थों के अुनसार बनाते हैं, सरकारों के नसीब बनते-बिगड़ते हैं और इस आवाजाही में पुराने घपले-घोटाले बिसराए जाते हैं आसानी से। शिबू सोरेन जैसे लोगों को इन सब का बेशुमार फायदा हुआ है। वह यह जिद्द पाले रहे कि या तो उन्हें उनके सूब का मुख्यमंत्री बनाया जाय या केंद्र में फायदेमंद अपनी रुचि का विभाग सौंप कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाए।
 
झारखंड का घनघोर दुर्भाग्य यह रहा है कि उसके भविष्य के बारे में जुबान खोलने का हकदार वहां रहने वाले आम आदमी को नहीं समझा जाता, बल्कि उसके भाग्य का विधातावि[[चित्र:[[चित्र:Example.jpg]]]]धाता शिबू सोरेन, लालू यादव बहुत हो गया तो मरांडी, मधु कोड़ा जैसे लोग ही समझे जाते हैं। यही कारण है कि राज्य के प्रशासकों का मनोबल- पुलिस का ही नहीं- बुरी तरह टूटा हुआ है। नक्सलवादी हिंसा पर काबू पाना असंभव हो गया है और बेशुमार खनिज संपत्ति का मालिक होन के बावजूद भी राज्य दरिद्र बना हुआ है।
 
यदि भूले-बिसरे किसी और सिलसिले में झारखंड का जिक्र होता भी है तो पलक झपकते क्रिकेट की लॉटरी खुलने से अरबपति बने मॉडलनुमा महेंद्र सिंह धोनी के असमाजिक तत्वों द्वारा भयादोहन के कारण। शिबू सोरेन की दर्दभरी दास्तान उनके मौजूदा कष्ट के कारण इतनी क्लेशदायक नहीं जितना इस लगभग शाश्वत सत्य के कारण कि शिबू सिर्फ एक व्यक्ति नहीं प्रतीक और लक्षण हैं उस लगभग लाइलाज बीमारी का, जिससे हमारा सार्वजनिक जीवन आज ग्रस्त है।
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[[en:Shibu Soren]]
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[[te:శిబు సోరెన్]]
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