"डूंगर सिंह": अवतरणों में अंतर

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===परिचय ===
ठाकुर डूंगर सिंह व ठाकुर जवाहर सिंह शेखावत चचेरे भाई थे, डूंगर सिंह पाटोदा के ठाकुर उदय सिंह व जवाहर सिंह बठोट के ठाकुर दलेल सिंह के पुत्र थे ठाकुर डूंगर सिंह शेखावाटी ब्रिगेड में रिसालदार थे ,शेखावाटी ब्रिगेड की स्थापना का उदेश्य शेखावाटी में शांति स्थापना के नाम पर शेखावाटी में पनप रहे ब्रिटिश सत्ता विरोधी विद्रोह को कुचल कर शेखावाटी के शासन में हस्तक्षेप करना था वि.सं.1891 में सीकर के राव राजा रामप्रताप सिंह जी व उनके भाई भैरव सिंह के बीच अनबन चल रही थी, इस विग्रह के सहारे अंग्रेज सत्ता सीकर में अपने हाथ पैर फेलाने में लग गयी शेखावाटी की तत्कालीन परिस्थियों को भांपते ठाकुर डूंगर सिंह जी ने अपने कुछ साथियों सहित शेखावाटी ब्रिगेड से हथियार,उंट, घोड़े लेकर विद्रोह कर दिया और अंग्रेज शासित प्रदेशों में लूटपाट आतंक फेला दिया, इनके साथ अन्य विद्रोहियों के मिल जाने से अंग्रेज सत्ता आतंकित हो इन्हे पकड़ने के लिए उतेजित हो गयी शेखावाटी ब्रिगेड के साथ ही सीकर, जयपुर ,बीकानेर,जोधपुर की सेनाएं इनके खिलाफ सक्रिय हो गयी वि.सं.1895 में झदवासा गावं के भैरव सिंह गौड़ जो इनका निकट संम्बन्धी था को अंग्रेजो ने आतंक व लोभ दिखा कर डूंगर सिंह को पकड़वाने हेतु सहमत कर लिया, भैरव सिंह ने छल पूर्वक डूंगर सिंह को अंग्रेजों के हाथों पकड़वा दिया और अंग्रेजों ने डूंगर सिंह को आगरा के लालकिले की जेल में बंद कर दिया इस छलाघात से डूंगर सिंह के साथियों में भयंकर रोष भड़क उठा और आगरा के किले पर आक्रमण की योजना बना ली गयी,योजनानुसार लोटिया[[लोठू जाटनिठारवाल]] व सावंता मीणा ने आगरा जाकर साधू के बेश में गुप्त रूप से किले अन्तः बाह्य जानकारी हासिल की।
 
===आगरा की कैद से डूंगरसिंह को छुड़वाना ===