"ताराचंद बड़जात्या": अवतरणों में अंतर

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अपनी फिल्मों में वे मानवतावादी भारतीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील दिखे. उन्हें लगता था कि देश की भाषा, देशी संगीत और देशी भाव-बोध अगर सार्थक रूप में लोगों के सामने लाया जाए तो लोगों की सराहना मिलेगी. बिल्कुल ऐसा ही हुआ.
 
एक दूसरी प्रमुख बात यह थी कि वे नये कलाकारों और संगीतकारों को सदैव प्रोत्साहित करते रहे. उन्होंने जिन लोगों को पहला बड़ा ब्रेक दिया उनमें ये नाम शामिल हैं- [[राखी गुलज़ार|राखी]], [[जया बच्चन|जया भादुडी]], [[सारिका]], [[रंजीता]], [[रामेश्वरी]], [[सचिन (अभिनेता)|सचिन]], [[अनुपम खेर]], अरूण[[अरुण गोविल]], [[माधुरी दीक्षित]], [[सत्येन बोस]], [[बासु चटर्जी]], सुधेन्दु राय, लेख टंडन, हीरेन नाग, रवींद्र जैन, [[बप्पी लाहिडीलाहिड़ी]], उषा खन्ना, [[के. जे. येशुदास|येसुदास]], [[हेमलता]], [[सुरेश वाडेकर]], शैलैन्द्रशैलेन्द्र सिंह, [[कविता कृष्णमूर्ति]], [[अनुराधा पौडवाल ]], [[उदित नारायण]] और [[अलका याज्ञनिक]].
 
अपनी फिल्मों में वे भारतीय समाज के सकारात्मक पक्ष को ज्यादा दिखलाने की कोशिश करते थे. हिंदी का प्रयोग वे शुरू से आखिर तक करते रहे और उनकी फिल्मों में जो नाम दिखलाए जाते थे वे भी हिंदी में ही होते थे.
 
आज भी उनके पुत्र [[सूरज बडजात्या]] हिंदी फिल्म जगत के विरल लोगों में हैं जो स्क्रीन-प्ले हिंदी में तय्यार करवाते हैं.
 
==बाहरी कड़ियाँ==