"रामभद्राचार्य": अवतरणों में अंतर

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; [[महाकाव्य]]
* [[:w:Sribhargavaraghaviyam|''श्रीभार्गवराघवीयम्'']] (२००२) – एक सौ एक श्लोकों वाले इक्कीस सर्गों में विभाजित और चालीस संस्कृत और प्राकृत के छन्दों में बद्ध २१२१ श्लोकों में विरचित संस्कृत महाकाव्य। स्वयं महाकवि द्वारा रचित हिन्दी टीका सहित। इसका वर्ण्य विषय दो राम अवतारों ([[परशुराम]] और राम) की लीला है। इस रचना के लिए कवि को २००५ में संस्कृत के [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था।<ref name="sa2005">{{cite web | title = साहित्य अकादमी सम्मान २००५ | year=२००५ | publisher=नेशनल पोर्टल ऑफ इण्डिया | url = http://india.gov.in/knowindia/sakademi_awards05.php | accessdate = अप्रैल २४, २०११}}</ref><ref>{{cite web | last=पी टी आई | first= | publisher=डी एन ए इंडिया | title = Kolatkar, Dalal among Sahitya Akademi winners | url = http://www.dnaindia.com/india/report_kolatkar-dalal-among-sahitya-akademi-winners_1003524 | date = दिसम्बर २२, २००५| accessdate=जून २४, २०११ | language=अंग्रेज़ी}}</ref> जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट द्वारा प्रकाशित।
* ''[[:w:Ashtavakraअष्टावक्र (epicमहाकाव्य)|अष्टावक्र]]'' (२०१०) – एक सौ आठ पदों वाले आठ सर्गों में विभाजित ८६४ पदों में विरचित हिन्दी महाकाव्य। यह महाकाव्य [[अष्टावक्र]] ऋषि के जीवन का वर्णन है, जिन्हें विकलांगों के पुरोधा के रूप में दर्शाया गया है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट द्वारा प्रकाशित।
* ''[[:w:Arundhatiअरुन्धती (epicमहाकाव्य)|अरुन्धती]]'' (१९९४) – १५ सर्गों और १२७९ पदों में रचित हिन्दी महाकाव्य। इसमें ऋषि दम्पती वसिष्ठ और [[अरुन्धती]] के जीवन का वर्णन है। राघव साहित्य प्रकाशन निधि, राजकोट द्वारा प्रकाशित।
; खण्डकाव्य
* ''आजादचन्द्रशेखरचरितम्'' – स्वतन्त्रता सेनानी [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] पर संस्कृत में रचित खण्डकाव्य (गीतादेवी मिश्र द्वारा रचित हिन्दी टीका सहित)। श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास, चित्रकूट द्वारा प्रकाशित।