"रोशन सिंह": अवतरणों में अंतर

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विश्वानि देव सवितुर दुरितानि परासुव यद भद्रम तन्नासुव''' का जाप करते हुए फन्दे से झूल गये। [[इलाहाबाद]] में नैनी स्थित मलाका [[जेल]] के फाटक पर हजारों का हुजूम जमा था ठाकुर साहब के अन्तिम दर्शन अन्त्येष्टि-संस्कार में शामिल होने के लिये। जैसे ही उनका शव जेल कर्मचारी बाहर लाये वहाँ उपस्थित सभी लोग नारा लगाये-"रोशन सिंह अमर रहें!" भारी जुलूस की शक्ल में शवयात्रा निकली और संगम पर जाकर रुकी जहाँ पर वैदिक रीति से उनका अन्तिम संस्कार किया गया। [[फाँसी]] के बाद ठाकुर साहब के चेहरे पर एक अद्भुत शान्ति दृष्टिगोचर हो रही थी। मूँछें वैसी की वैसी ही थीं बल्कि गर्व से कुछ ज्यादा ही तनी हुई लग रहीं थीं।
==इलाहाबाद में मूर्ति==
[[इलाहाबाद]] की नैनी स्थित मलाका [[जेल]] के फाँसी घर के सामने अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह की आवक्ष प्रतिमा [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में उनके अप्रतिम योगदान के उल्लेख के साथ लगायी गयी है। केवल इतना परिवर्तन हुआ है कि उसइस स्थान पर अब एक मेडिकल कालेज स्थापित हो गया है। मूर्ति के नीचे ठाकुर साहब की कही गयी ये पंक्तियाँ भी अंकित हैं: -
{{cquote| '''"जिन्दगी जिन्दा-दिली को जान ऐ रोशन!'''
'''वरना कितने ही यहाँ रोज फना होते हैं।"'''}}
 
==सन्दर्भ एवं आभार==
* डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा ''स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास'' (3 खण्डों में) 2006 [[दिल्ली]] ''प्रवीण प्रकाशन'' [[ISBN:8177831224]]