"गोपीनाथ कविराज": अवतरणों में अंतर
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'''गोपीनाथ कविराज''' (1887-1976) संस्कृत के विद्वान और महान दार्शनिक थे। यह [[बंगाल|बंगाली]] थे, और इनके पिताजी का नाम वैकुण्ठनाथ बागची था।
महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज वर्तमान युग के विश्वविख्यात भारतीय प्राच्यविद् तथा मनीषी रहे हैं। इनकी ज्ञान-साधना का क्रम वर्तमान शताब्दी के प्रथम दशक से आरम्भ हुआ और प्रयाण-काल तक वह अबाधरूप से चलता रहा। इस दीर्घकाल में उन्होंने पौरस्त्य तथा पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान की विशिष्ट चिन्तन पद्धतियों का गहन अनुशीलन कर, दर्शन और इतिहास के क्षेत्र में जो अंशदान किया है उससे मानव-संस्कृति तथा साधना की अंतर्धाराओं पर नवीन प्रकाश पड़ा है, नयी दृष्टि मिली है।
उन्नीसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युगचेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम्पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप में कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है।
== ग्रन्थ ==
* श्री श्री विशुद्धानन्द प्रसङ्ग
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* Sahityachinta
* Siddhabhoomi Gyanganj - in Bengali
==सम्मान==
* महामहोपाध्याय (1934)
* पद्मविभूषण (1964)
* डी लिट् (1947), ([[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]
* साहित्य वाचस्पति (1965), [[उत्तर प्रदेश]] सरकार द्वारा
* देशिकोत्तम (1976), [[विश्व भारती]] द्वारा
* डी लिट (21 दिसम्बर, 1956) ([[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]])
[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]
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