"कालका मेल": अवतरणों में अंतर
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भारतीय फिल्म निर्देशक और लेखक [[सत्यजीत रे]], ने अपनी एक लघु कहानी में कालका मेल को आधार बनाया है. “कालका मेल का रहस्य", नामक कहानी के तीन मुख्य पात्र इस रेलगाड़ी से कलकत्ता से दिल्ली और फिर कालका जाने के लिए सवार होते हैं. कहानी में एक हीरे की चोरी और एक अप्रकाशित पांडुलिपि भी शामिल है.<ref>http://www.bbc.co.uk/dna/h2g2/A59706138</ref> कहानी पर एक रेडियो नाटक भी बनाया गया था.
==दुर्घटना==
10 जुलाई 2011 को [[उत्तर प्रदेश]] में [[कानपुर]] के निकट [[फतेहपुर]] के मलवां स्टेशन के पास दोपहर के समय इस रेलगाड़ी के 13 डिब्बे पटरी से उतर गये. इस दुर्घटना में कम से कम अस्सी लोगों की मौत हो गई है। जबकि साढ़े तीन सौ लोग घायल हो गए। प्रधानमंत्री ने रेल मंत्रालय की ओर से मृतकों के परिजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।
==संदर्भ==
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