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बाबासाहब आपटे (२८ अगस्त, १९०३ - २९ जुलाई, १९७२) भारत के राष्ट्रवादी सामाजिक कार्यकर्ता थे. वे भारत के गौरवशाली इतिहास के प्रसार हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहे.

परिचय

बाबासाहब आपटे का जन्म २८ अगस्त, १९०३ के दिन यवतमाल में हुआ था। बचपन से ही उनमें असीम देशभक्ति भरी हुई थी, परंतु शरीर कुछ दुर्बल था। वाचन में उनका विशेष रुचि थी। धर्म और संस्कृति तथा देश का गौरवशाली अतीत उनके अध्ययन तथा चिंतन के प्रमुख विषय थे। १९२० में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे धामणगांव (जिला वर्धा) में एक विद्यालय में अध्यापक बने। वे छात्रों को विद्यालयीन पढ़ाई के साथ-साथ गौरवशाली इतिहास, देशभक्तों के प्रेरक चरित्र, स्वातंत्र योद्धाओं का तेजस्वी बलिदान आदि की कथाएं भी सुनाते थे। परिणामस्वरूप बाबासाहब विद्यार्थियों में प्रिय परंतु विद्यालय के संचालकों में अप्रिय हुए। एक बार उन्होंने विद्यालय में लोकमान्य तिलक की स्मृति में एक कार्यक्रम किया। उसके लिए व्यवस्थापकों ने उनसे घोर नाराजगी जताई। श्री आपटे ने तत्काल नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। बाद में कुछ दिन उन्होंने मुद्रणालय में काम किया। १९२९ में वे डाक्टर जी के संपर्क में आए। कुछ दिन तक नौकरी की परंतु अधिक प्रवास और संघ कार्य करने की उत्कट इच्छा से नौकरी छोड़कर पूरा समय संघ को समर्पित कर दिया। सही अर्थों में उनको "प्रथम प्रचारक' कह सकते हैं। अपना गौरवशाली इतिहास युवा पीढ़ियों तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जाना चाहिए, यह उनकी इच्छा थी। लगभग ४२ साल तक प्रचारक के रूप में काम करने वाले बाबासाहब आपटे का २९ जुलाई, १९७२ के दिन स्वर्गवास हुआ। उनकी मृत्यु के बाद उन्हीं के नाम से बनी हुई बाबासाहब आपटे समिति ने इतिहास पुनर्लेखन का व्यापक कार्य हाथ में लेकर बाबासाहब आपटे को सही अर्थों में श्रद्धांजलि अर्पित की है।