"तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox Hindu leader
|name=तुलसीदास
|image=Gosvami Tulsidas II.jpg
|image_size=150px
|caption= काँच मन्दिर, [[जगद्गुरु_रामभद्राचार्य#.E0.A4.A4.E0.A5.81.E0.A4.B2.E0.A4.B8.E0.A5.80_.E0.A4.AA.E0.A5.80.E0.A4.A0|तुलसी पीठ]] (चित्रकूट) में प्रतिष्ठित गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा
|alt=
|birth_date=१४९७ अथवा १५३२ ई
|birth_place=राजापुर, [[उत्तर प्रदेश]], [[भारत]]
|birth_name=रामबोला
|death_date=१६२३ ई
|death_place=[[वाराणसी]]
|guru=नरहरिदास
|philosophy=[[वैष्णव]]
|honors= गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि
|quote=सीयराममय सब जग जानी । </br> करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ </br> (रामचरितमानस १.८.२)
|Literary works = रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि
|footnotes=
}}
'''गोस्वामी तुलसीदास''' [१४९७ - १६२३] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर गाँव (वर्तमान बाँदा जिला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने १२ ग्रन्थ लिखे और उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदास जी को महर्षि [[वाल्मीकिजी|वाल्मीकि]] का अवतार भी माना जाता है जो मूल आदि काव्य [[रामायण]] के रचयिता थे। श्रीराम जी को समर्पित ग्रन्थ [[श्रीरामचरितमानस]] वाल्मीकि रामायण का प्रकारान्तर से ऐसा अवधी भाषान्तर है जिसमें अन्य भी कई कृतियों से महत्वपूर्ण सामग्री समाहित की गयी थी। श्रीरामचरितमानस को समस्त उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद [[विनय पत्रिका]] तुलसीदासकृत एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है।
==जन्म==
[[उत्तर प्रदेश]] के चित्रकूट जिले से कुछ दूरी पर राजापुर नामक एक ग्राम है, वहाँ आत्माराम दुबे नाम के एक प्रतिष्ठित सरयूपारीण [[ब्राह्मण]] रहते थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम हुलसी था। संवत् १५५४ के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ इस महान आत्मा ने मनुष्य योनि में जन्म लिया। प्रचलित जनश्रुति के अनुसार शिशु पूरे बारह महीने तक माँ के गर्भ में रहने के कारण अत्यधिक हृष्ट पुष्ट था और उसके मुख में दाँत दिखायी दे रहे थे। जन्म लेने के बाद प्राय: सभी शिशु रोया ही करते हैं किन्तु इस बालक ने जो पहला शब्द बोला वह ''राम'' था। अतएव उनका घर का नाम ही रामबोला पड गया। माँ तो जन्म देने के बाद दूसरे ही दिन चल बसी बाप ने किसी और अनिष्ट से बचने के लिये बालक को चुनियाँ नाम की एक दासी को सौंप दिया और स्वयं विरक्त हो गये। जब रामबोला साढे पाँच वर्ष का हुआ तो चुनियाँ भी नहीं रही। वह गली-गली भटकता हुआ अनाथों की तरह जीवन जीने को विवश हो गया।
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रामचरितमानस तुलसीदास जी का सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ रहा है। उन्होंने अपनी रचनाओं के सम्बन्ध में कहीं कोई उल्लेख नहीं किया है, इसलिए प्रामाणिक रचनाओं के सम्बन्ध में अन्त:साक्ष्य का अभाव दिखायी देता है। [[नागरी प्रचारिणी सभा]] काशी द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ इस प्रकार हैं :
# [[रामचरितमानस]]
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# [[कवितावली]]
# [[गीतावली]]
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''एनसाइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन एंड एथिक्स'' में ग्रियसन महोदय ने भी उपरोक्त प्रथम बारह ग्रन्थों का उल्लेख किया है।
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==सन्दर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
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