"फ़ोनीशियाई वर्णमाला": अवतरणों में अंतर

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[[File:Samal Text.jpg|thumb|220px|राजा किलामुवा द्वारा जारी किया गया फ़ोनीशियाई में एक फ़रमान]]
[[File:Bodashtart 1.png|thumb|220px|एश्मुन धार्मिक स्थल पर राजा बोदशतार्त द्वारा लिखित पंक्तियाँ]]
'''फ़ोनीशियाई वर्णमाला''' [[फ़ोनीशिया]] की सभ्यता द्वारा अविष्कृत वर्णमाला थी जिसमें हर वर्ण एक व्यंजन की ध्वनी बनता था। क्योंकि फ़ोनीशियाई लोग समुद्री सौदागर थे इसलिए उन्होंने इस अक्षरमाला को दूर-दूर तक फैला दिया, और उनकी देखा-देखी और सभ्यताएँ भी अपनी भाषाओँ के लिए इसमें फेर-बदल करके इसका प्रयोग करने लगीं। माना जाता है के आधुनिक युग की सभी मुख्य अक्षरमालाएँ इसी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की संताने हैं। [[देवनागरी]] सहित, भारत की सभी वर्णमालाएँ भी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की वंशज हैं।<ref>Richard Salomon, "Brahmi and Kharoshthi", in ''The World's Writing Systems''</ref> इसका विकास क़रीब 1050 ईसा-पूर्व में आरम्भ हुआ था और प्राचीन यूनानी सभ्यता के उदय के साथ-साथ अंत हो गया।