"बासुदेब दाशगुप्ता": अवतरणों में अंतर

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'''बासुदेब दाशगुप्ता''' ( ३१ दिसम्बर १९३८---३१ अगस्त २००५ ) [[बांग्ला]] साहित्य के [[भूखी पीढी आन्दोलन]] के एक प्रमुख कहानीकार एवम उपन्यासकार हैं। सन १९६५ में प्रकाशित उनकी कहानी ''''रन्धनशाला'''' को [[बांग्ला साहित्य]] की कालजयी रचना माना जाता है। वह पूर्वी बंगाल के मदारिपुर में पैदा हुये एवम पर्टिशन के समय भारत चले आये। अशोक्नगर रिफिउजि कलोनि में घर मिलने प्र वहिं बस गये, बि एड पढें और आजिवन वहिं कल्याण्गढ विद्यामन्दिर में पढाये। बीच में मार्क्सबाद के प्रति आकृष्ट हुये परन्तु क्रमश राजनीति से निर्मोह हो गये। अत्यधिक मादक सेवन एवम पीने के ल्त के कारण उनका स्वास्थ्य ढल गया और बैमार रहने लगे।
 
==कृतियां==