"खानदान (1979 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== संक्षेप ==
गौरीशंकर ([[सुन्दर पुरोहित]]) अपनी पत्नी ([[निरूपा रॉय]]), दो पुत्र विकास ([[सुजीत कुमार]]) व रवि ([[जितेन्द्र]]) के साथ रहता है| विकास धनी लकड़ी नंदा ([[बिन्दू]]) से विवाह करता है और रवि कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है| रवि ऊषा ([[सुलक्षणा पंडित]]) के प्रति आकर्षित हुए उसे विवाह करना चाहता है| इधर गौरीशंकर की सेवानिवृत्ति होने को है और विकास अभी बेरोजगार है| कुछ दिन बाद विकास को नौकरी का प्रस्ताव आता है जिसलिए उसे {{INR}} 5000 जमा कराना है| नंदा अपने चचाचाचा से रूपये उधार लिए नरेश को देती है, जिससे उसे नौकरी मिलती है| उधर रवि को अपने मालिक के {{INR}} 5000 चुराने का इलज़ाम में पुलिस गिरफ्तार करती है| अदालत उसे तीन महीने क़ैद की सज़ा देती है, जिसे सुन गौरीशंकर की मृत्यु होती है| सज़ा के बाद घर आये रवि सुनता है के ऊषा का विवाह दीनानाथ का पुत्र राकेश ([[राकेश रोशन]]) से निश्चय किया गया है| रवि बम्बई जाकर नौकरी पाए अपनी माँ को पैसे भेजता रहता है| रवि व ऊषा की अगली भेट के बाद होने वाले घटनाओं को आगे की कथा में दर्शाया गया है|
 
== चरित्र ==