"सौर घड़ी": अवतरणों में अंतर

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कई संस्कृतियों में मानवीय सौर घड़ियां भी बनीं जिसमें एक व्यक्ति एक निश्चित स्थान पर खड़ा होता था और अपनी परछाईं के बदलते आकार से समय का पता लगाता था। सौर घड़ियों के सही काम करने के लिए यह आवश्यक होता था कि उन्हें सही स्थानों पर स्थापित किया जाए। विश्व के अलग-अलग स्थानों पर एक ही समय पर सूर्य भिन्न दिशाओं में होता था, इसलिए सूर्य की दिशा के अनुसार घड़ियों को स्थापित करना होता था।<ref name="हिन्दुस्तान "/> इसका एक तरीका यह है कि सौर घड़ी को इस तरह स्थापित किया जाए कि सूर्य के ठीक आकाश के बीच में होने पर परछाई बिल्कुल सीधी दिखे।
 
 
== चित्र दीर्घा ==
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