"सौर पवन": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Voyager 1 entering heliosheath region.jpg|right|thumb|350px|सौर वायु में [[प्लाज़्मा (भौतिकी)|प्लाज़्मा]] [[हेलियोपॉज़]] से संगम करते हुए]]
'''सौर वायु''' ([[अंग्रेज़ी]]:सोलर विंड) [[सूर्य]] से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या [[प्लाज़्मा (भौतिकी)|प्लाज़्मा]] की बौछार को नाम दिया गया है। ये कण [[अंतरिक्ष]] में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-83062.html सोलर विंड ]।हिन्दुस्तान लाइव।२७ नवंबर, २००९</ref> इन कणों में मुख्यत: [[प्रोटोन|प्रोटोन्स]] और [[इलेक्ट्रॉन]] (संयुक्त रूप से [[प्लाज़्मा (भौतिकी)|प्लाज़्मा]]) से बने होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग एक [[इलेक्ट्रॉन वोल्ट
==कारण==
[[Image:Solarmap.png|thumb|400px|left|सौर मंडल, [[लघुगणक
सौर वायु के सूर्य से निकलने का एक संभव कारण ''[[कोरोना]]'' का तीव्र तापमान होता है। [[कोरोना]] [[सूर्य]] की सबसे बड़ी और बाहरी पर्त होती है। कोरोना का तीव्र [[तापमान]] अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है। सौर वायु सूर्य से लगभग ४०० से ७०० कि.मी. प्रति [[सेकेंड]] की गति से बाहर निकलती है। एक अनुमान के अनुसार कोरोना के तापमान के अतिरिक्त इन कणों को सूर्य से छिटक कर अंतरिक्ष को अग्रसर करने हेतु किसी अन्य स्रोत से भी [[गतिक ऊर्जा]] मिलती है। यह बौछार सौर-मंडल के प्रत्येक ग्रह पर अपना प्रभाव छोड़ती है। इसके साथ ही यह सौरमंडल और बाहरी अंतरिक्ष के बीच एक सीमा रेखा भी बनाती है। इस सीमा को [[हेलियोपॉज]] कहते हैं। यह [[आकाशगंगा]] के बाहर से आने वाली ब्रह्माण्डीय किरणों को बाहर ही रोक देती है।[[Image:Traceimage.jpg|thumb|<!-- 300px -->|<!-- TRACE --> 171Å कोरोना की सौर वायु]] इन किरणों में अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक [[विकिरण]] होते हैं, जो हानिकारक भी हो सकते हैं।<ref name="दैट्स"/>
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==संबंधित अंतरिक्ष यान==
[[चित्र:IBEX.jpg|thumb|200px|[[संयुक्त राज्य अमरीका|अमेरिकी]] अंतरिक्ष एजेंसी [[नासा]] के द्वारा [[इंटरस्टेल्लर बाउंड्री एक्सप्लोरर]] ([[आईबेक्स]]) नामक एक अंतरिक्ष यान छोड़ा गया है।]]
[[संयुक्त राज्य अमरीका|अमेरिकी]] अंतरिक्ष एजेंसी [[नासा]] के द्वारा कुछ समय से लगातार सिमटती जा रही सौर वायु के अध्ययन हेतु [[इंटरस्टेल्लर बाउंड्री एक्सप्लोरर]] ([[आईबेक्स]]) नामक एक [[अंतरिक्ष यान]] छोड़ा गया है।<ref name="दैट्स">
[[नासा]] द्वारा सूर्य के कोरोना व सौर वायु का रहस्य जानने के लिए एक अंतरिक्ष यान प्रस्तावित है। [[सोलर प्रोब प्लस]] नामक यह यान वर्ष [[२०१५]] में भेजा जाएगा। सोलर प्रोब प्लस सूर्य के काफी निकट तक पहुंचेगा और इसका डिजाइन व निर्माण कार्य अनुभवी एप्लाइड फिजिक्स लैब (एपीएल) द्वारा किया जाएगा। इस अभियान को भेजे जाने में सात वर्ष का समय लग जाएगा। ये यानसूर्य के काफी निकट पहुंचकर लगभग ७० लाख किमी दूरी पर रहकर अपना कार्य करेगा। सूर्य के कोरोना व सौर वायु के बारे में इससे काफी तथ्य उजागर होने की संभावनाएं हैं। नासा का यह अभियान एरीज के वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य पर किए जा रहे अध्ययन में भी लाभकारी सिद्ध होगा।<ref name="जागरण">[http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_4534458.html सोलर प्रोब प्लस मिशन से एरीज के वैज्ञानिक उत्साहित]।याहू जागरण।११ जून, २००९</ref>
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[[श्रेणी:अंतरिक्ष]]
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[[श्रेणी:सूर्य]]
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[[श्रेणी:प्लाज्मा]]
[[श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना]]
[[af:Sonwind]]
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