"स्तानिस्लाव लॅम": अवतरणों में अंतर

 
पंक्ति 3:
 
==जीवनी==
स्तानिस्लाव लॅम का जन्म 1921 में [[पोलैंड]] के ल्विव (Lviv) शहर में हुआ था। वे सबरीना वोलर और सैमुएल लॅम के पुत्र थे। सैमुएल लॅम [[स्वरग्रंथीस्वरग्रंथि]] के विशेषज्ञ और ऑस्ट्रो-हंगेरियाई सेना में चिकित्सक थे। उनकी परवरिश एक इसाई रोमन कैथोलिक की तरह की गई, लेकिन आगे चलकर उन्होंने अपने आप को एक भगवान में न मानने वाला नास्तिक घोषित कर दिया। उन्होने कहा के "इस दुनिया में इतना दुख-दर्द है कि मैं नहीं मानना चाहता कि किसी ने जान-बूझकर इसे बनाया होगा।" [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] में पोलैंड पर [[जर्मनी|जर्मन]] क़ब्ज़ा हो गया। लॅम का परिवार [[यहूदी]] जड़े रखता था और जर्मनी की नाट्ज़ी सरकार उस ज़माने में यहूदियों को मार रही थी। लॅम ने नकली काग़ज़ात के ज़रिये ज़िन्दगी बसर की। उन्होने एक कार-मिस्त्री का काम किया और जर्मनी के विरुद्ध अंदरूनी झड़पों में भी योगदान दिया। युद्ध के अंत में लॅम परिवार क्राकोव (Kraków) शहर जा बसा और वहाँ अपने पिता के ज़ोर देने पर लॅम ने यागिएलोनी विश्वविद्यालय (Uniwersytet Jagielloński) में डाक्टरी पढ़ी। वे सेना में चिकित्सक नहीं बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होने अपने कुछ इम्तिहान जान-बूझकर फ़ेल कर दिए। उन्होंने एक वैज्ञानिक संस्थान में अनुसन्धान सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया और अपने फ़ुर्सत के समय में कहानियाँ भी लिखे लगे।
 
उन दिनों में [[सोवियत संघ]] में [[जोसेफ़ स्टालिन]] का राज था और पोलैंड सोवियत संघ के गुट में था। स्टालिन की नीतियाँ सख़्त थीं और हर किताब के छपने से पहले सरकार की मंज़ूरी लेना आवश्यक था। सन् 1956 के बाद स्टालिनवाद की सख़्ती समाप्त हुई। 1956 से लेकर 1968 तक स्तानिस्लाव लॅम ने 17 किताबें पूरी करीं, जिनसे इन्हें देश-विदेश में ख्याति मिली। इनकी सब से प्रसिद्ध पुस्तकें "सोलारिस" (Solaris, 1961), "मालिक की आवाज़" (His Master's Voice, 1968) और "फ़ीयासको" (Fiasco, 1987) हैं।