"देवनागरी अंक": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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धरोहर को शुद्ध रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है उसे आगे बढ़ाना। इस तरह इन दोनों के बीच का रास्ता चुना जाये, जिससे कि अधिक मुश्किल भी न हो, अधिक अशुद्धि भि न हो, किन्तु अधिक कठिन भी न हो। जैसा कि ऊपर किसी ने कहा भी है कि मात्र ७ अंक हिन्दी के सीख लेना कौन सा कठिन कार्य है - इस पर अमल करना सरल ही है, और इससे शुद्धता एवं धरोहर भि बनी रहेगी। जिसने हिन्दी के ५६ अक्षर सीख लिये तो ७ और सही।
:::::::::::--[[चित्र:Plume pen w.gif|30px|ये सदस्य हिन्दी विकिपीडिया के प्रबंधक है।]]<span style="background:#7FFFD4;" >[[User:आशीष भटनागर|<b>प्रशा:''आशीष भटनागर''</b>]][[User_talk:आशीष भटनागर|<font style="color:#00FFFF;background:#008080;"> ''वार्ता'' </font>]]</small> 06:07, 10 जुलाई 2011 (UTC)
* संविधान से बाहर आकर स्कूल कॉलेजों के किताबों को देखें तो राष्ट्रभाषा, जिसे सारे भारत में व्यापक पैमाने पर पढ़ा और पढ़ाया जाता है, की पाठ्य पुस्तकों में नागरी अंकों का ही प्रयोग होता है। हिंदी भाषी प्रदेश में व्यापक रूप से पढ़ी-पढ़ाई जाने वाले हिंदी साहित्य में नागरी अंकों का इस्तेमाल होता है। यह हिंदी विषय संघ लोक सेवा आयोग की परिक्षा का भी एक लोकप्रिय विषय है। गाँव की पाठशाला में आज भी बच्चे नागरी अंक में ही पहाड़ा सीखने की शुरुआत करते हैं। कम-से-कम मेरी और मेरे आस-पास के बच्चों की पाठशाला की शिक्षा की शुरुआत इन्हीं अंकों में हुई थी। हिंदी के कुछ अख़बार और कई पत्रिकाओं में नागरी अंक प्रयोग किए जा रहे हैं। और इनकी वितरण संख्या अंग्रेजी अखबारों से अधिक है। <small><span style="border:1px solid magenta;padding:1px;">[[User:aniruddhajnu|<b>अनिरुद्ध</b>]][[User_talk:अनिरुद्ध|<font style="color:purple;background:lightgreen;"> वार्ता </font>]] </span></small> 04:36, 29 जुलाई 2011 (UTC)
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