"देवनागरी अंक": अवतरणों में अंतर

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बार-बार लोग कहते हैं कि संविधान में अन्तर्राष्ट्रीय अंक हैं, संविधान में तो हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही गयी है क्या उसका पालन होता है? --<small><span style="border:1px solid #999999;padding:1px;">[[User:Shrish|&nbsp;श्रीश e-पण्डित&nbsp;]][[User_talk:Shrish|<font style="color:#ffffff;background:#0099ff;">&nbsp;वार्ता&nbsp;</font>]] </span></small> 17:03, 29 जून 2011 (UTC)
* उत्कर्ष के संवैधानिक प्रावधान के संदर्भ के लिए इतना जरूर कहूँगा कि हिंदी के संवैधानिक प्रावधानों को उस समय की और बाद की भाषायी राजनितिक संदर्भ से काटकर सर्वसम्मत निर्णय के रूप में देखने से बचें। लेकिन अगर संवैधानिक प्रावधानों के उल्लेख से ही कुछ तय होना है तो उत्कर्ष द्वारा उद्धृत प्रावधान के निर्माण के 4 साल बाद राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जिनके अध्यक्षिय मत से हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में दर्ज हो पाई थी, ने नागरी अंकों के प्रयोग के लिए अध्यादेश जारी किया था।
* भारत सरकार की राजभाषा नीति का कोई अर्थ नहीं रह जाता क्योंकि वह नीति 'सम्पूर्ण रूप' में लागू कहाँ है? हिन्दी वालों को जो-जो त्यागना था उन्होने त्याग दिये पर अंग्रेजी वाले वहीं अड़े हैं या आगे बढ़ गये हैं।
 
== बाह्य सूत्र ==