"देवनागरी अंक": अवतरणों में अंतर

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: दूसरी बात, भाषा एक बहती नदी की तरह है. अगर आप उसे "संरक्षित" करने के नाम पर उसके बहाव को रोक देंगे, तो वह लुप्त हो जाएगी. संस्कृत के साथ भी यही हुआ. अगर आप सोचते हैं कि हिंदी विकीपीडिया पर देवनागरी अंकों का प्रयोग करने से आने वाली पीढ़ी भी इन्हीं अंकों का प्रयोग करने लगेगी, तो आप गलत सोचते हैं. अगली पीढ़ी तो विकीपीडिया की बजाय कुछ और पढ़ने लगेगी, जो उन्हें समझ में आता हो. हिन्दी की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण संरक्षण के नाम पर इसका जबरन संस्कृतीकरण है, जो इसे नई पीढ़ी से दूर ले जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो धीरे-धीरे संस्कृत की यह भाषा भी लुप्त हो जाएगी. [[User:Utcursch|उत्कर्षराज]] ([[User talk:Utcursch|वार्ता]]) 05:55, 3 जुलाई 2011 (UTC)
::::* कभी कभी ये भी प्रयास करना चाहिये कि हम पहले बने सबके चलने के रास्ते पर ही सदा क्यूं चलें, कभि तो कुछ अपना भी विशेष बनाये रखें, जिस प्र शायद कल विश्व चलने लगे और उसे अपना बताये...... :::::::::::--[[चित्र:Plume pen w.gif|30px|ये सदस्य हिन्दी विकिपीडिया के प्रबंधक है।]]<span style="background:#7FFFD4;" >[[User:आशीष भटनागर|<b>प्रशा:''आशीष भटनागर''</b>]][[User_talk:आशीष भटनागर|<font style="color:#00FFFF;background:#008080;"> &nbsp;''वार्ता''&nbsp;</font>]]</small> 06:07, 10 जुलाई 2011 (UTC)
* दरसल पूरे भारत में हिन्दी के वास्तविक स्वरूप को मिटाने का जो कुचक्र चल रहा है यह उसी निति का भाग है। और आजकल देखने में आ रहा है कि हिन्दी विकि पर अंग्रेज़ी के घालमेल का चलन भी आ चुका है। फ़्रान्सीसी ही क्यों, चीनी, जापानी, कोरियाई जैसी भाषाएं भी विश्व की कठिनतम भाषाएं हैं, और उनकी लिपि भी तो क्या उन लोगों ने अपनी लिपियों को बदल डाला है? नहीं ना। ...
 
==== संवैधानिक स्थिति ====