"सुबिमल बसाक": अवतरणों में अंतर

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==अनुवाद==
[[Image:Poetry Sessions.jpg|thumb|left|200px| भुखी पीढीके साहित्यकारों का सन्मेलन डलटनगंजमें]]
*प्रतिवेशी जानाला ( १९७५ ) ४२ हिन्दी कवियों के कवितायों का [[बांग्ला]] में अनुवाद।
*तिसरी कसम ( १९७६ ) [[फणीश्वर नाथ 'रेणु']] के उपन्यास।