"रामभद्राचार्य": अवतरणों में अंतर
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===शास्त्री (स्नातक) तथा आचार्य (परास्नातक)===
१९७१ में गिरिधर मिश्र [[वाराणसी]] स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत [[व्याकरण]] में शास्त्री ([[:en:Bachelor's degree|स्नातक उपाधि]]) के अध्ययन के लिए प्रविष्ट हुए।<ref name="dinkaredu"/> १९७४ में उन्होंने सर्वाधिक अंक अर्जित करते हुए शास्त्री (स्नातक उपाधि) की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् वे आचार्य ([[:en:Master's degree|परास्नातक]] उपाधि) के अध्ययन के लिए इसी विश्वविद्यालय में पंजीकृत हुए। परास्नातक अध्ययन के दौरान १९७४ में अखिल भारतीय संस्कृत अधिवेशन में भाग लेने गिरिधर मिश्र [[नयी दिल्ली]] आए। अधिवेशन में व्याकरण, [[सांख्य]], [[न्याय]], [[वेदान्त]] और [[अन्त्याक्षरी]] में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते।<ref name="kbs-bio"/> भारत की तत्कालीन प्रधानमन्त्रिणी श्रीमती [[इन्दिरा गाँधी]] ने उन्हें पाँचों स्वर्णपदकों के साथ उत्तर प्रदेश के लिए चलवैजयन्ती
===विद्यावारिधि (पी एच डी) एवं वाचस्पति (डी लिट्)===
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