"ख़ालसा": अवतरणों में अंतर

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==खालसा और सतगुर गोबिंद सिंह==
इतिहास इस बात का गवाह है की गुरु गोबिंद सिंह जी भी पांच प्यारों के आधीन चला करते थे और उन के हुक्म को माना करते थे | पांच प्यारों ने गोबिंद सिंह को चमकोर का किला छोड़ने का हुक्म दिया और उन्हें मानना पड़ा | पांच प्यारों ने फिर गोबिंद सिंह जी को टोका, जब गोबिंद सिंह इन की परख के लिए दादू की कब्र पर नमस्कार कर रहे थे | गोबिंद सिंह ने बंदा बहादुर को भी पांच प्यारों के संग भेजा गया, इतिहास में ज़िक्र है की जब बंदा बहादुर प्यारों की उलंघना करता रहा तो बंदा बहादुर को सब किले में छोड़ गए | गोबिंद सिंह और खालसा फ़ौज ने बहादुर शाह की मदद की और उसे शासक बनाने के लिए उसके भाई से लोहा भी लिया | खालसा ने ही गुरु गोबिंद सिंह की बानियों को खोजा और ग्रंथ के रूप में ढाला |
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