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'''बलोच''', '''बलौच''' या '''बलूच''' दक्षिणपश्चिमी [[पाकिस्तान]] के [[बलूचिस्तान (पाकिस्तान)|बलोचिस्तान]] प्रान्त और [[ईरान]] के [[सिस्तान व बलूचेस्तान]] प्रान्त में बसने वाली एक जाति है.है। यह [[बलोच भाषा और साहित्य|बलोच भाषा]] बोलते हैं, जो [[ईरानी भाषा परिवार]] की एक सदस्य है और जिसमें अति-प्राचीन [[अवस्ताई भाषा]] की झलक मिलती है (जो स्वयं [[वैदिक संस्कृत]] की बड़ी क़रीबी भाषा मानी जाती है.है। बलोच लोग क़बीलों में संगठित हैं.हैं। वे पहाड़ी और [[रेगिस्तान|रेगिस्तानी]] क्षेत्रों में रहते हैं और आसपास के समुदायों से बिलकुल भिन्न पहचान बनाए हुए हैं.हैं। एक ब्राहुई नामक समुदाय भी बलोच माना जाता है, हालांकि यह एक [[द्रविड़ भाषा परिवार]] की ब्राहुई नाम की भाषा बोलते हैं.हैं।
 
सन् २००९ में बलोच लोगों की कुल जनसंख्या ९० लाख पर अनुमानित की गई थीथी।<ref name="pk">[http://www.ethnologue.com/show_country.asp?name=pk Languages of Pakistan], ''Ethnologue.com''.</ref><ref name="ir">[http://www.ethnologue.com/show_country.asp?name=IR Languages of Iran], ''Ethnologue.com'' . Retrieved June 7, 2006.</ref><ref name="Iran Profile, Library of Congress">[http://lcweb2.loc.gov/frd/cs/profiles/Iran.pdf Iran], ''Library of Congress, Country Profile'' . Retrieved December 5, 2009.</ref> इसमें से लगभग ६०% पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त में और २५% ईरान के सिस्तान व बलूचेस्तान प्रान्त में रहते हैंहैं।<ref>Blood, Peter, ed. [http://lcweb2.loc.gov/cgi-bin/query/r?frd/cstdy:@field(DOCID+pk0055) "Baloch"]. ''Pakistan: A Country Study''. Washington: GPO for the Library of Congress, 1995.</ref> पाकिस्तान के [[सिंध]] और [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] प्रान्त के दक्षिणी भाग में भी बहुत से बलोच रहते हैं.हैं। [[अफ़्ग़ानिस्तान]], [[तुर्कमेनिस्तान]], [[ओमान]], [[बहरीन]], [[कुवेतकुवैत]] और [[अफ़्रीका]] के कुछ भागों में भी बलोच मिलते हैं.हैं। बलोच लोग अधिकतर सुन्नी इस्लाम के अनुयायी होते हैं.हैं। ईरान में शियाओं की बहुतायत है, इसलिए वहाँ इनकी एक अलग धार्मिक पहचान है.है।
 
==मुख्य क़बीले==
बलोचों के कुछ मुख्य क़बीले इस प्रकार हैं:
*मर्री'''बुगटी ({{Nastaliq|ur|مریبگٹی}}) क़बीला: यह बलोच-भाषी लोगहैं पाकिस्तानऔर केइन्हें बलोचिस्तान केका कोहलू,सब सिबी,से जाफ़राबादशक्तिशाली औरक़बीला नसीराबादमाना ज़िलोंजाता केहै। निवासीइनकी हैं. इनकीअनुमानित संख्या लाख अनुमानित की गई है. यह अलगाववादी विचारधारा से ख़ुंख़ार तरीके से लड़ने के लिए पहचाने गए हैं.है।
*'''मर्री''' ({{Nastaliq|ur|مری}}): यह बलोच-भाषी लोग पाकिस्तान के बलोचिस्तान के कोहलू, सिबी, जाफ़राबाद और नसीराबाद ज़िलों के निवासी हैं। इनकी संख्या २ लाख अनुमानित की गई है। यह अलगाववादी विचारधारा से ख़ुंख़ार तरीके से लड़ने के लिए पहचाने गए हैं।
*'''मेंगल''' ({{Nastaliq|ur|مینگل}})क़बीला: यह ब्राहुई-भाषी हैं और इनका क़बीला दूसरा सब से बड़ा क़बीला माना जाता है.है। यह बलोचिस्तान के चग़इ, ख़ुज़दार और ख़ारान ज़िलों में रहते हैं.हैं।
*'''बिज़ेंजो ({{Nastaliq|ur|بزنجو}}): यह बलोचिस्तान के अवारान ज़िले में रहते हैं। इस क़बीले से एक ग़ौस बख़्श बिज़ेंजो नामक बलोच राष्ट्रवादी नेता प्रसिद्ध हुए थे जो १९७२-७३ में बलोचिस्तान के राजपाल भी रहे।
*'''लांगो''' ({{Nastaliq|ur|لانگو}}): यह बलोचिस्तान के मध्य में रहते हैं। लांगो क़बीले में प्राथमिक रूप से बलोची बोली जाती है लेकिन बहुत से लोग ब्राहुई भी द्वितीय भाषा के रूप में बोलतें हैं।
*'''बंगुलज़ई''' ({{Nastaliq|ur|بنگلزی}}): यह एक ब्राहुई-भाषी क़बीला है और बलोचिस्तान के बड़े क़बीलों में गिना जाता है।
*'''मज़ारी''' ({{Nastaliq|ur|مزاری}}): यह बलोचिस्तान का बहुत ही प्राचीन क़बीला माना जाता है। "मज़ारी" शब्द का अर्थ बलोची भाषा में "सिंह" होता है। इनका क्षेत्र पंजाब प्रान्त में राजनपुर ज़िला है जो बलोचिस्तान की सीमा पर पड़ता है।
*'''नुत्कानी''' ({{Nastaliq|ur|نتكانى}}): यह बलोच क़बीला सदियों पहले बलोचिस्तान से चलकर पंजाब से आ बसा।
*'''लग़ारी''' ({{Nastaliq|ur|لغاري}}): पंजाब और सिंध में बसा हुआ एक बलोच क़बीला। इनमें से बहुत अब सिन्धी, पंजाबी और सिराइकी भाषाएँ बोलते हैं, लेकिन फिर भी अपनी बलोच पहचान बनाए हुए हैं।
 
==रीति रिवाज==
बलोच पुरुष शलवार कमीज़ पहनते हैं, और बलोच टोपी की भी विशेष पहचान है.है। बलोच स्त्रियाँ खुले चोग़े और लेहंगे पहनती हैं, जिसपर अक्सर शीशे के टुकड़े लगे होते हैं.हैं। औरतें अपना सर एक "सरिग" नाम के वस्त्र से ढकती हैं.हैं। इनमें ज़ेवर बहुत लोकप्रीय हैं, ख़ासकर कान में पहनने वाले "दोर" नाम के भारी झुमके जिनको सोने की पतली ज़ंजीरों से सर पर बाँधा जाता है ताकि भार से कानों को नुक़सान न पहुँचे.पहुँचे। वे अपने चोग़ों को सामने से बंद करने के लिए एक "तसनी" नाम के सोने के ज़ेवर का भी प्रयोग करतीं हैं.हैं।
 
बलोच लोगों में धार्मिक कट्टरवाद बहुत कम मिलता है और राष्ट्रीयता की भावना काफी प्रबल है.है। बलोचिस्तान के ईरानी और पाकिस्तानी दोनों हिस्सों में अलगाववादी विद्रोह समय-समय पर होते रहे हैं.हैं। ईरान में शिया-सुन्नी अलगाव को लेकर उनमें भिन्नता की भावना है.है। गाना-बजाना बलोचों की संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें ढोल का प्रयोग बहुत होता है (इसे बलोचिस्तान में दोहोल कहा जाता है).
 
==इन्हें भी देखें==
*[[बलूचिस्तान (पाकिस्तान)]]
*[[बलोच भाषा और साहित्य]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.youtube.com/watch?v=R9yt09FGlkM यु-ट्यूब पर बलोची लोकसंगीत]
 
==सन्दर्भ==
<small>{{reflist}}</small>
 
[[श्रेणी:बलोचिस्तान]]
[[श्रेणी:एशिया की जनजातियां]]
[[श्रेणी:भारतीय उपमहाद्वीप की मानव जातियां]]
[[श्रेणी:विश्व की मानव प्रजातियां]]
[[श्रेणी:पाकिस्तान की जातियाँ]]