"हैली धूमकेतु": अवतरणों में अंतर
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हैली पहला धूमकेतु है जिसे आवर्ती धूमकेतु के रूप में मान्यता मिली थी | धूमकेतु की प्रकृति पर अरस्तू की धारणा की तत्कालीन दार्शनिकों में आम सहमति थी कि धूमकेतु पृथ्वी के वायुमंडल में गड़बड़ी का नतीजा है | अरस्तू का यह विचार सन् १५७७ में टाइको ब्राहे ने गलत साबित कर दिया था | टाइको ने पैरालेक्स मापन का इस्तेमाल कर दिखाया कि धूमकेतु का अस्तित्व चन्द्रमा से परे है | कई लोग अभी भी इस बात से असहमत थे कि धूमकेतु वास्तव में सूर्य की परिक्रमा करते है और वें मानते थे कि धुमकेतू सीधे पथ का पालन करते हुए सौरमंडल से होकर गुजरते है |
सन् १६८७ में सर आइजैक न्यूटन ने अपनी ' प्रिन्सिपिया ' प्रकाशित की , जिसमें उन्होंने गुरुत्व और गति के अपने नियमों को रेखांकित किया | धूमकेतु पर उनका काम निश्चित रूप से अधूरा था हालांकि उन्हें शंका थी कि सन् १६८० और १६८१ में पहले दिखने वाला और सूर्य के पीछे से गुजर जाने के बाद दिखाई देने वाला धुमकेतू एक ही था | उनकी यह धारणा बाद में सही पायी गई थी | वें अपने मॉडल में धूमकेतुओं का सामंजस्य करने में पूरी तरह से असमर्थ थे | आखिरकार न्यूटन के मित्र, संपादक और प्रकाशक एडमंड हैली ने सन् १७०५ में अपनी 'Synopsis of the Astronomy of Comets, ' में धूमकेतु की कक्षाओं पर बृहस्पति और शनि के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की गणना के लिए न्यूटन के नए नियमों का उपयोग किया | इस गणना ने उन्हें इस योग्य बनाया कि वें ऐतिहासिक रिकार्डो की जांच कर कक्षीय तत्वों का निर्धारण कर सकें | उन्होंने पाया कि सन् १६८२ में दिखाई देने वाला दूसरा धुमकेतू करीब करीब वहीँ दो धुमकेतू है जो आज से पहले सन् १५३१ ( पेट्रस एपियानस द्वारा अवलोकित ) और सन् १६०७ ( योहानेस केप्लर द्वारा अवलोकित ) में दिखाई दिए थे | इस प्रकार हैली ने निष्कर्ष निकाला कि तीनों धुमकेतू वास्तव में एक ही है जो प्रत्येक ७६ वर्ष में वापस लौटते है | इस अवधि को बाद में संशोधित कर प्रत्येक ७५-७६ वर्ष कर दिया गया | धूमकेतुओं पर पड़ने वाले ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक मोटे अनुमान के बाद भविष्यवाणी की गई कि हैली सन् १७५८ में फिर से वापसी करेगा |
[[श्रेणी:धूमकेतू|*]]
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