"हैली धूमकेतु": अवतरणों में अंतर

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सन् १६८७ में सर आइजैक न्यूटन ने अपनी ' प्रिन्सिपिया ' प्रकाशित की , जिसमें उन्होंने गुरुत्व और गति के अपने नियमों को रेखांकित किया | धूमकेतु पर उनका काम निश्चित रूप से अधूरा था हालांकि उन्हें शंका थी कि सन् १६८० और १६८१ में पहले दिखने वाला और सूर्य के पीछे से गुजर जाने के बाद दिखाई देने वाला धुमकेतू एक ही था | उनकी यह धारणा बाद में सही पायी गई थी | वें अपने मॉडल में धूमकेतुओं का सामंजस्य करने में पूरी तरह से असमर्थ थे | आखिरकार न्यूटन के मित्र, संपादक और प्रकाशक एडमंड हैली ने सन् १७०५ में अपनी 'Synopsis of the Astronomy of Comets, ' में धूमकेतु की कक्षाओं पर बृहस्पति और शनि के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की गणना के लिए न्यूटन के नए नियमों का उपयोग किया | इस गणना ने उन्हें इस योग्य बनाया कि वें ऐतिहासिक रिकार्डो की जांच कर कक्षीय तत्वों का निर्धारण कर सकें | उन्होंने पाया कि सन् १६८२ में दिखाई देने वाला दूसरा धुमकेतू करीब करीब वहीँ दो धुमकेतू है जो आज से पहले सन् १५३१ ( पेट्रस एपियानस द्वारा अवलोकित ) और सन् १६०७ ( योहानेस केप्लर द्वारा अवलोकित ) में दिखाई दिए थे | इस प्रकार हैली ने निष्कर्ष निकाला कि तीनों धुमकेतू वास्तव में एक ही है जो प्रत्येक ७६ वर्ष में वापस लौटते है | इस अवधि को बाद में संशोधित कर प्रत्येक ७५-७६ वर्ष कर दिया गया | धूमकेतुओं पर पड़ने वाले ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक मोटे अनुमान के बाद भविष्यवाणी की गई कि हैली सन् १७५८ में फिर से वापसी करेगा |
 
हैली धूमकेतु वापसी की भविष्यवाणी सही साबित हुई | इसे २५ दिसंबर सन् १७५८ में एक जर्मन किसान और शौकिया खगोल विज्ञानी जोहान जॉर्ज पेलिज्स्क द्वारा देखा गया था | खुद हैली अपने जीवनकाल में इस धूमकेतु की वापसी नहीं देख पाए थे क्योंकि सन् १७४२ में उनकी मृत्यु हो गई.थी | इस धुमकेतू वापसी की पुष्टि ने पहली बार यह दिखाया कि ग्रहों के अलावा भी अन्य निकायों का अस्तित्व है जों सूर्य की परिक्रमा करतें है | यह वापसी पूर्व न्यूटोनियन भौतिकी का एक सफल परीक्षण था और साथ ही उसकी व्याख्यात्मक शक्ति का एक स्पष्ट प्रदर्शन भी था | इस धुमकेतू का नामकरण हैली के सम्मान में सर्वप्रथम फ्रेंच खगोलविद निकोलस लुई डी लासेले द्वारा सन् १७५९ में किया गया था |