"हैली धूमकेतु": अवतरणों में अंतर

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सन् १९८६ में प्रवेश के दौरान हैली सबसे पहला ऐसा धूमकेतु बना जिसका अंतरिक्ष यान द्वारा बारीकी से और विस्तार से अध्ययन किया गया | इसने हैली की नाभि की संरचना तथा कोमा और पूंछ के गठन के तंत्र का सबसे पहला अवलोकन डाटा उपलब्ध कराया | इस अवलोकन ने धूमकेतु की संरचना के बारे में लम्बे समय से चली आ रही अवधारणाओं को , विशेष रूप से फ्रेड व्हिपल के ' डर्टी स्नो बॉल ' मॉडल को आधार प्रदान किया | उन्होंने हैली की संरचना का सही अनुमान लगाया था कि यह अस्थिर पदार्थों के मिश्रण से बना है जैसे कि - पानी , कार्बनडाई आक्साइड , अमोनिया और धूल | इस मिशन ने जो डाटा उपलब्ध कराया है , जिससे हैली के बारे में हमारे विचारो में काफी सुधार हुआ है | उदाहरण के लिए हमें अब यह समझ में आ रहा है कि हैली की सतह मोटे तौर पर धूल और गैर वाष्पशील पदार्थों से बनी है तथा उसका मात्र छोटा सा हिस्सा ही बर्फ या अस्थिर पदार्थ से बना हुआ है |
 
[[File:Lspn comet halley.jpg|250px|Halley's Comet|alt=A color image of Comet Halley, shown flying to the right aligned flat against the sky]]
 
==कक्षा की गणना==
[[File:Lspn comet halley.jpg|250px|Halley's Comet|alt=A color image of Comet Halley, shown flying to the right aligned flat against the sky]]
 
हैली पहला धूमकेतु है जिसे आवर्ती धूमकेतु के रूप में मान्यता मिली थी | धूमकेतु की प्रकृति पर अरस्तू की धारणा की तत्कालीन दार्शनिकों में आम सहमति थी कि धूमकेतु पृथ्वी के वायुमंडल में गड़बड़ी का नतीजा है | अरस्तू का यह विचार सन् १५७७ में टाइको ब्राहे ने गलत साबित कर दिया था | टाइको ने पैरालेक्स मापन का इस्तेमाल कर दिखाया कि धूमकेतु का अस्तित्व चन्द्रमा से परे है | कई लोग अभी भी इस बात से असहमत थे कि धूमकेतु वास्तव में सूर्य की परिक्रमा करते है और वें मानते थे कि धुमकेतू सीधे पथ का पालन करते हुए सौरमंडल से होकर गुजरते है |