"शंकर दयाल सिंह": अवतरणों में अंतर
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राष्ट्रभाषा हिन्दी के लिये शंकर दयाल सिंह ने आजीवन आग्रह भी किया, युद्ध भी लडा और यदा-कदा आहत भी हुए। इस सबके बावजूद उन्हें सन् १९९३ में [[हिन्दी सेवा]] के लिये '''अनन्तगोपाल शेवडे हिन्दी सम्मान''' तथा सन् १९९५ में '''गाडगिल राष्ट्रीय सम्मान''' से नवाजा गया परन्तु इससे वे मानसिक रूप से पूर्णत: सन्तुष्ट कभी नहीं हुए। निस्सन्देह शंकर दयाल सिंह पुरस्कार या सम्मान पाकर अपनी बोलती बन्द रखने वालों की श्रेणी के व्यक्ति नहीं, अपितु और अधिक प्रखरता से मुखर होने वालों की श्रेणी के व्यक्ति थे। यही कारण था कि प्रतिष्ठित [[लेखक]] के रूप में केन्द्र सरकार ने भले ही कोई पुरस्कार या सम्मान न दिया हो, जिसके वे वास्तविक रूप से अधिकारी थे; परन्तु पूरे [[भारतवर्ष]] से कई संस्थाओं, संगठनों व राज्य-सरकारों से उन्हें अनेकों पुरस्कार प्राप्त हुए।
==सन्दर्भ
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#http://krantmlverma.blogspot.com/2011/07/shankar-dayal-singh.html
[[श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना]]
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[[en:Shankar Dayal Singh]]
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