"नमक कर": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: भारत में नमक पर कर आरंभिक काल से ही लगाया जाता रहा है। परंतु मुगल स...
 
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19वीं सदी के आरंभ में नमक कर को अधिक लाभदायक बनाने के लिए और उसकी तस्करी को रोकने के लिए इस्ट इंडिया कंपनी ने जाँच केंद्र बनाए। जी एच स्मिथ ने एक सीमा खिंची जिसके पार नमक के परिवहन पर अधइक कर देना पड़ता था। 1869 तक यह सीमा पूरे भारत में फैल गई। 2300 मील तक सिंधु से मद्रास तक फैले क्षेत्र में लगभग 12 हजार लोग तैनात किए गए थे। यह कांटेदार झाड़ियों पत्थरों, पहाड़ों से बनी सीमा थी जिसके पार बिना जाँच के नहीं जाया जा सकता था।
1923 में लॉर्ड रीडिंग के समय नमक कर को दुगुना करने का विधेयक पास किया गया। 1927 में पुनः विधेयक लाया गया जिसपर विटो लग गया। 1835 के नमक कर आयोग ने अनुसंशा की कि नमक के आयात को प्रोत्साहित करने के लिए नमक पर कर लगाया जाना चाहिए। बाद में नमक के उत्पादन को अपराध बनाया गया। 1882 में बने भारतीय नमक कानून ने सरकार को पुनः एकाधिकार स्थापित करा दिया। 12 मार्च 1930 को 39 अनुयायियों के साथ मांधी साबरमती से दांडी चले। और 6 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ दिया। और ब्रिटिश शासन के अंत की घोषणा की।
[[श्रेणी:कर]]
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