"त्रिलोचन शास्त्री": अवतरणों में अंतर
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त्रिलोचन शास्त्री 1995 से 2001 तक जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिंदी व उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुडे़ रहे। उन्हें हिंदी सॉनेट का साधक माना जाता है। उन्होंने इस छंद को भारतीय परिवेश में ढाला और लगभग 550 सॉनेट की रचना की।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/05/050504_trilochan_poet.shtml|title= हिंदी सॉनेट के शिखर पुरुष
|accessmonthday=[[10 दिसंबर]]|accessyear=[[2007]]|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी}}</ref> इसके अतिरिक्त कहानी, गीत, ग़ज़ल और आलोचना से भी उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनका पहला कविता संग्रह धरती 1945 में प्रकाशित हुआ था। गुलाब और बुलबुल, उस जनपथ का कवि हूं और तपे हुए दिन उनके चर्चित कविता संग्रह थे। दिगंत और धरती जैसी रचनाओं को कलमबद्ध करने वाले त्रिलोचन शास्त्री के 17 कविता संग्रह प्रकाशित हुए।
==त्रिलोचन की विषय वस्तु==
त्रिलोचन ने वही लिखा जो कमज़ोर के पक्ष में था। वो मेहनतकश और दबे कुचले समाज की एक दूर से आती आवाज़ थे। उनकी कविता भारत के ग्राम और देहात समाज के उस निम्न वर्ग को संबोधित थी जो कहीं दबा था कही जग रहा था कहीं संकोच में पड़ा था।
उस जनपद का कवि हूं
जो भूखा दूखा है
नंगा है अनजान है कला नहीं जानता
कैसी होती है वह क्या है वह नहीं मानता<ref>{{cite web |url= http://www2.dw-world.de/hindi/Welt/1.231388.1.html|title= त्रिलोचन शास्त्री नहीं रहे
|accessmonthday=[[10 दिसंबर]]|accessyear=[[2007]]|format= एचटीएमएल|publisher= डॉयशेवेले}}</ref>
==पुरस्कार व सम्मान==
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