"त्रिलोचन शास्त्री": अवतरणों में अंतर
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कैसी होती है वह क्या है वह नहीं मानता<ref>{{cite web |url= http://www2.dw-world.de/hindi/Welt/1.231388.1.html|title= त्रिलोचन शास्त्री नहीं रहे
|accessmonthday=[[10 दिसंबर]]|accessyear=[[2007]]|format= एचटीएमएल|publisher= डॉयशेवेले}}</ref>
==त्रिलोचन की भाषा शैली==
त्रिलोचन ने लोक भाषा अवधी और प्राचीन संस्कृत से प्रेरणा ली, इसलिए उनकी विशिष्टता हिंदी कविता की परंपरागत धारा से जुड़ी हुई है। मजेदार बात यह है कि अपनी परंपरा से इतने नजदीक से जुड़े रहने के कारण ही उनमें आधुनिकता की सुंदरता और सुवास थी।
==पुरस्कार व सम्मान==
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