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रवीन्द्र बराल (चर्चा | योगदान) (→इतिहास) |
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१७६५मे, [[गोरखा]]का राजा [[पृथ्वी नारायण शाह]]ने नेपालके छोटे छोटे बाइसे व चोबिसे राज्यके उपर चढाँइ करतेहुए एकिकृत किया, बहुत ज्यादा रक्तरंजित लडाँईयौं पश्वात उन्हौने ३ वर्ष बाद कान्तीपुर, पाटन व भादगाँउ के राजाऔं को हराया और अपने राज्य का नाम गोरखा से नेपाल मे परिवर्तित किया। तथापि उन्हे कान्तिपुर विजय मे कोही युद्ध नही करना पडा। वास्तब मे, उस समय इन्द्रजात्रा पर्व मे कान्तिपुर का सभी जनता फसल का देवता भगवान इन्द्र कि पुजा और महोत्सव (जात्रा) मना रहेथे, जब पृथ्वी नारायण शाह ने अपना सेना लेकर धावा बोला और सिंहासन कब्जा कर लिया। इस घटना को आधुनिक नेपाल का जन्म भी कहते है।
तिब्बत से हिमाली मार्ग का नियन्त्रण के लिए हुवा बिबाद और उस पश्चात का युद्ध मे [[चीन]] तिब्बत के सहायता के लिए आनेके बाद नेपाल पिछे हट गया। नेपाल का सीमा नजदिक का छोटा-छोटा राज्यौं को हडप्ने के कारण से शुरु हुवा [[ब्रिटिस इस्ट इण्डिया कम्पनि]]के साथ दुश्मनीका कारण लेकिन रक्तरंजित [[एङ्गलो-नेपाल युद्ध (१८१४–१६)]] (
[[राज परिवार]] व भारदारोके विच गुटबन्दिकि बजहसे युद्धके बाद अस्थायित्व कायम हुवा। शन् १८४६मा शासन कररही रानीकी सेनानायक [[जङ्गबहादुर]]को पदच्युत करने षडयन्त्रकी खुलासा होनेसे [[कोतपर्व]] नामका नरसंहार हुवा। हतियारधारी सेना व रानीकेप्रति वफादार भाइ-भारदाररोकेविच मारकाट चलनेसे देशके सयौँ राजखलाक, भारदारलोग व दुसरे रजवाडो का हत्याहुवा। जङ्गबहादुरकी जितके बाद [[राणा खानदान]] उन्होने सुरुकिया व [[राणा शासन]] लागु किया। राजाको नाममात्रमे सिमित किया व प्रधानमन्त्री पदको सक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठाके साथ ब्रिटिसके पक्षमे रहतेथे व ब्रिटिसशासकको १८५७की [[सेपोई रेबेल्योन]] (प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम), व बादमे दोनो [[विश्व युद्ध]]सहयोग कियाथा। शन् १९२३मे [[संयुक्त अधिराज्य]] व नेपाल विच आधिकारिक रुपमे मित्रताकी सम्झौतामे हस्ताक्षर हुवा, जिसमे नेपलकी स्वतन्त्रताको संयुक्त अधिराज्यने स्विकार किया । व साउदथ एसियाइ मुलुक का पहला नेपाली राजदुतावास ब्रिटेनकी राजधानी लंडनमे खुलगया ।
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