"नेपाल": अवतरणों में अंतर
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गणराज्य स्थापना |
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'''नेपाल''', (अन्तरिम संविधान अनुसार आधिकारिक रूप में '''नेपाल
निरन्तर रुप से राजा-रजौटाऔं का अधिन मे रहकर फुट्ने और जुड्ने का लम्बा तथा सम्पन्न इतिहास वाला हाल मै नेपाल के नाम से प्रसिद्ध यह भूखण्ड मै वि. स. २०४६ साल का आन्दोलन पश्चात संवैधानिक राजतन्त्र का नीति अवलम्बन हुवा। लेकिन इस पश्चात भी राजसंस्था एक महत्त्वपूर्ण तथा अस्पष्ट परिधि एवम् शक्ति सम्पन्न संस्था के रूप मे प्रस्तुत हुवा। यह व्यवस्था मे पहले संसदीय अनिश्चितता तथा सन् १९९६ से ने.क.पा.(माओवादी)का जनयुद्ध के कारण से राष्ट्रिय अनिश्चितता दिख्ने लगा। माओवादीयौं ने राजनीति के मूलाधार से पृथक भूमिगत रुप से राजतन्त्र तथा मूलाधार के राजनैतिक दलौं के बिरुद्ध मे गुरिल्ला युद्ध सञ्चालन कर दिया। उन्हौंने नेपाल का सामन्ती व्यवस्था (उन के अनुसार इसमै राजतन्त्र भी पड्ता है) फेंक कर एक माओवादी राष्ट्र स्थापना करने की प्रण किया है। यही कारण से [[नेपाली गृहयुद्ध]] शुरु हो गया जिसके कारण १३,००० मनुष्यौं की जान जा चुका है। यही विद्रोहको दमन करने के पृष्ठभूमि मै राजा ज्ञानेन्द्र ने सन् २००२ मे संसद को विघटन तथा निर्वाचित प्रधानमन्त्री को अपदस्त करके प्रधानमन्त्री मनोनित प्रक्रिया से शासन चलाने लगे। सन् २००५मै उन्हौंने एकल रूपमै संकटकाल का घोषणा करके सब कार्यकारी शक्ति ग्रहन किया। [[सन् २००६का लोकतान्त्रिक आन्दोलन]] (जनाअन्दोलन-२) पश्चात राजा ने देश का सार्वभौमसत्ता जनता को हस्तान्तरण किया तथा अप्रिल २४, २००६ मै संसद को पूनर्स्थापना हो गया। मे १८, २००६ मे अपना पुनर्स्थापित सार्वभौमता का उपयोग करके नयाँ प्रतिनिधि सभा ने राजा के अधिकार मे कटौती कर दी तथा नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषणा कर दिया। हाल, देश का नयाँ संविधान निर्माण करने वाला संविधान सभा का चुनाव निकट भविष्य मै होने वाला है।
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