"बाल विकास": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
पंक्ति 16:
"प्रासंगिक विकास" या "मानव पारिस्थितिकी" सिद्धांत के नाम से भी जाने जानेवाले और मूल रूप से यूरी ब्रोनफेनब्रेनर द्वारा सूत्रबद्ध पारिस्थितिकीय प्रणाली सिद्धांत, प्रणालियों के भीतर और प्रणालियों के दरम्यान द्विदिशात्मक प्रभावों के साथ चार प्रकार की स्थिर पर्यावरणीय प्रणालियों को निर्दिष्ट करता है. ये चार प्रणालियाँ इस प्रकार हैं: माइक्रोसिस्टम, मेसोसिस्टम, एक्सोसिस्टम, और मैक्रोसिस्टम. प्रत्येक प्रणाली में शक्तिशाली ढंग से विकास को आकार देने की क्षमता रखने वाली भूमिकाएं, मानदंड, और नियम शामिल हैं. 1979 में इसके प्रकाशन के बाद से ब्रोनफेनब्रेनर के इस सिद्धांत के प्रमुख कथन ''द इकोलॉजी ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट'' (मानव विकास की पारिस्थितिकी)<ref>ब्रोनफेनब्रेनर, यू (1979). ''दी इकोलॉजी ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट: एक्सपेरिमेंट्स बाय नेचर एंड डिजाइन'' . केम्ब्रिज, एमए: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. (आईएसबीएन 0-674-22457-4)</ref> का मनोवैज्ञानिकों और अन्य लोगों द्वारा मानव जाति और उनके पर्यावरणों का अध्ययन करने के तरीके पर काफी व्यापक प्रभाव पड़ा है. विकास की इस प्रभावशाली अवधारणा के परिणामस्वरूप परिवार से आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं तक के इन पर्यावरणों को बचपन से वयस्कता तक के जीवनकाल के हिस्से के रूप में देखा जाने लगा है.<ref name="Smith et al." />
 
को ध्यान में रखना आवश्यक है. तटस्थ शब्दों, शरीर की रूपरेखा और छू सकने लायक उपकरण का इस्तेमाल करने से बच्चे के सक्रिय शिक्षण में मदद मिलती है.
===पियाजेट===
 
'''इन्द्रियों से पहचानने योग्य (कंक्रीट):''' (लगभग पहली कक्षा से लेकर आरंभिक किशोरावस्था तक)<br>
इस चरण के दौरान, समायोजन क्षमता में वृद्धि होती है. बच्चों में अनमने भाव से सोचने और इन्द्रियों से पहचानने योग्य या दिखाई देने योग्य घटना के बारे में तर्कसंगत निर्ण===पियाजेट===
{{Unreferenced section|date=May 2010}}
{{Main|Jean Piaget|Theory of cognitive development}}[[चित्र:Example.jpg]]
पियाजेट एक फ्रेंच भाषी स्विस विचारक थे जिनका मानना था कि बच्चे खेल प्रक्रिया के माध्यम से सक्रिय रूप से सीखते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चे को सीखने में मदद करने में वयस्क की भूमिका बच्चे के लिए उपयुक्त सामग्री प्रदान करना था जिससे वह अंतर्क्रिया और निर्माण कर सके. वे सुकराती पूछताछ (सौक्रेटिक क्वेश्चनिंग) द्वारा बच्चों को उनकी गतिविधियों के विषय में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते थे. वह बच्चों को उनके स्पष्टीकरण में विरोधाभासों को दिखाने की कोशिश करते थे. उन्होंने विकास के चरणों को भी विकसित किया. उनके दृष्टिकोण का पता इस बात से चल सकता है कि स्कूलों में पाठ्क्रम को अनुक्रमित किया जाता है और पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रीस्कूल सेंटरों के अध्यापन में उनके दृष्टिकोण को देखा जा सकता है.
 
Line 27 ⟶ 30:
 
'''पूर्वपरिचालनात्मक (प्रीऑपरेशनल):''' (इसकी शुरुआत लगभग 7 साल की उम्र में होती है जब बच्चा बोलना शुरू करता है)<br>
अपने भाषा संबंधी नए ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए बच्चा वस्तुओं को दर्शाने के लिए संकेतों का इस्तेमाल करना शुरू करता है. इस चरण के आरम्भ में वह वस्तुओं का मानवीकरण भी करता है. वह अब बेहतर ढंग से उन चीजों और घटनाओं के बारे में सोचने में सक्षम हो जाता है जो तत्काल मौजूद नहीं हैं. वर्तमान के प्रति उन्मुख होने पर बच्चे को समय के बारे में अपना विचार बनाने में तकलीफ होती है. उनकी सोच पर कल्पना का असर रहता है और वह चीजों को उन्हीं रूपों में देखता है जिन रूपों में वह उन्हें देखना चाहता है और वह मान लेता है कि दूसरे लोग भी उन परिस्थितियों को उसी के नज़रिए से देखते हैं. वह जानकारी हासिल करता है और उसके बाद वह उस जानकारी को अपने विचारों के अनुरूप अपने मन में परिवर्तित कर लेता है. सिखाने-पढ़ाने के दौरान बच्चे की ज्वलंत कल्पनाओं और समय के प्रति उसकी अविकसित समझ को ध्यानकरने मेंकी रखनाक्षमता आवश्यकका विकास होता है जिसे समझने के लिए अतीत में उसे शारीरिक दृष्टि का इस्तेमाल करना पड़ा था. तटस्थइस शब्दों,बच्चे शरीरको कीसिखाने-पढ़ाने रूपरेखाके दौरान उसे सवाल पूछने और छूचीजों सकनेया लायकबातों उपकरणको वापस आपको समझाने का इस्तेमालमौका करनेदेने से बच्चेउसे केमानसिक सक्रियदृष्टि शिक्षणसे उस जानकारी का इस्तेमाल करने में मददआसानी मिलतीहोती है.
 
'''इन्द्रियों से पहचानने योग्य (कंक्रीट):''' (लगभग पहली कक्षा से लेकर आरंभिक किशोरावस्था तक)<br>
इस चरण के दौरान, समायोजन क्षमता में वृद्धि होती है. बच्चों में अनमने भाव से सोचने और इन्द्रियों से पहचानने योग्य या दिखाई देने योग्य घटना के बारे में तर्कसंगत निर्णय करने की क्षमता का विकास होता है जिसे समझने के लिए अतीत में उसे शारीरिक दृष्टि का इस्तेमाल करना पड़ा था. इस बच्चे को सिखाने-पढ़ाने के दौरान उसे सवाल पूछने और चीजों या बातों को वापस आपको समझाने का मौका देने से उसे मानसिक दृष्टि से उस जानकारी का इस्तेमाल करने में आसानी होती है.
 
'''औपचारिक परिचालन:''' (किशोरावस्था)<br>