"शंकर दयाल सिंह": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 3:
 
==जन्म और जीवन==
[[बिहार]] के [[औरंगाबाद जिला|औरंगाबाद जिले]] के भवानीपुर गाँव में [[२७ दिसम्बर]] [[1937|१९३७]] को प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी, [[साहित्यकार]] व बिहार विधान परिषद के सदस्य स्व० कामताप्रसाद सिंह के यहाँ जन्मे बालक के माता-पिता ने अपने आराध्य देव शंकर की दया का प्रसाद समझ कर उसका नाम शंकर दयाल रखा जो जाति सूचक शब्द के संयोग से शंकर दयाल सिंह हो गया। छोटी उम्र में ही माता का साया सिर से उठ गया अत: दादी ने उनका पालन पोषण किया। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] से स्नातक (बी०ए०) तथा [[पटना विश्वविद्यालय]] से स्नातकोत्तर (एम०ए०) की उपाधि (डिग्री) लेने के पश्चात १९६६ में वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने और १९७१ में सांसद चुने गये। एक पाँव राजनीति के दलदल में सनता रहा तो दूसरा साहित्य के कमल की पांखुरियों को कुरेद-कुरेद कर उसका सौरभ लुटाता रहा। श्रीमती कानन बाला जैसी सुशीला प्राध्यापिका पत्नी, दो पुत्र - रंजन व राजेश तथा एक पुत्री - रश्मि; और क्या चाहिये सब कुछ तो उन्हें अपने जीते जी मिल गया था तिस पर मृत्यु भी मिली तो इतनी नीरव, इतनी शान्त कि शरीर को एक पल का भी कष्ट नहीं होने दिया। [[२६२७ नवंबर]] [[१९९५]] की भोर में [[पटना]] से [[नई दिल्ली]] जाते हुए रेल यात्रा में [[टूंडला]] रेलवे स्टेशन पर हृदय गति के अचानक रुक जाने की वज़ह से उनका देहान्त हो गया।
 
==विविधि कार्य==