"राम लीला": अवतरणों में अंतर

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===दिल्ली की रामलीला===
पुरानी दिल्ली में रामलीलाओं का इतिहास बहुत पुराना है। यहां की रामलीला मुगलों के समय से चली आ रही है। दिल्ली में रामलीला के साथ मेलों के आयोजन के सदियों पुराने इतिहास पर नजर डालें तो यहां कई बार अड़चनें भी आ चुकी हैं। हर बार जीत राम-भक्तों की हुई है। औरंगजेब ने जब रामलीला पर बंदिश लगा दी थी तो उसके उत्तराधिकारियों को कर्ज देकर दिल्ली में रामलीला शुरू कराई गई थी। कई पुस्तकों में उल्लेख मिलता है कि मुगल काल में कई साल तक पुरानी दिल्ली रामलीला का केंद्र रहा। यहाँ लोग दूर-दूर से आकर रामलीला का आनंद लेते थे।
दिल्ली में रामलीलाओं का इतिहास बहुत पुराना है. दिल्ली में, सबसे पहली रामलीला बहादुरशाह ज़फर के समय पुरानी दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई थी. लवकुश रामलीला कमेटी, [http://www.ashokviharramlila.org अशोक विहार रामलीला] कमेटी आदि दिल्ली की प्राचीन रामलीलाओं में से हैं. [http://www.thekendra.com श्री राम भारतीय कला केन्द्र] द्वारा रामलीला का मंचन तीन घंटों में दर्शाया जाता है. यहाँ की रामलीला में पात्रों की वेशभूषा दर्शनीय है. इनके अतिरिक्त दिलशाद गार्डन रामलीला, [http://www.mayuryouthclub.com मयूर यूथ क्लब] मयूर विहार-1 रामलीला, सूरजमल विहार रामलीला आदि भी दिल्ली की चर्चित रामलीलाओं में से हैं.
 
बताया जाता है कि औरंगजेब ने अपने शासन काल में दिल्ली में रामलीला का आयोजन रुकवा दिया था। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु हो गई। इसके बाद 1719 ई. में दिल्ली की गद्दी पर मुहम्मद शाह रंगीला (1702-1748) बैठा। उस समय तक शाही खजाना खाली हो चुका था। बादशाह रंगीला ने लाला सीताराम से सरकारी खजाने के लिए कर्जे के रूप में मदद माँगी। लाला सीताराम ने भी कर्ज देने के बदले सीताराम बाजार स्थित अपनी हवेली में रामलीला के आयोजन की अनुमति माँग ली। मुहम्मद शाह रंगीला ने इसकी मंजूरी दे दी। इसके बाद सीताराम बाजार में कई वर्षों तक रामलीला का आयोजन होता रहा।
 
18वीं शताब्दी में शाह आलम द्वितीय की सेना में शामिल हिंदू सैनिकों ने रामलीला के आयोजन की अनुमति शाही दरबार से माँग ली। इसके बाद रामलीला का आयोजन एक बार फिर लाल किला के पीछे यमुना के किनारे होने लगा। बीच में कुछ व्यवधान जरूर आए पर आज भी राजधानी में लाल किले के आस-पास रामलीला का आयोजन ही होता है।
 
दिल्ली में रामलीलाओं का इतिहास बहुत पुराना है. दिल्ली में, सबसे पहली रामलीला बहादुरशाह ज़फर के समय पुरानी दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई थी. लवकुश रामलीला कमेटी, [http://www.ashokviharramlila.org अशोक विहार रामलीला] कमेटी आदि दिल्ली की प्राचीन रामलीलाओं में से हैं. [http://www.thekendra.com श्री राम भारतीय कला केन्द्र] द्वारा रामलीला का मंचन तीन घंटों में दर्शाया जाता है. यहाँ की रामलीला में पात्रों की वेशभूषा दर्शनीय है. इनके अतिरिक्त दिलशाद गार्डन रामलीला, [http://www.mayuryouthclub.com मयूर यूथ क्लब] मयूर विहार-1 रामलीला, सूरजमल विहार रामलीला आदि भी दिल्ली की चर्चित रामलीलाओं में से हैं.
 
रामलीलाओं में छविलाल ढोंढियाल द्वारा लिखित "रामलीला" पुस्तक बहुत प्रचलित पुस्तक है. अधिकतर रामलीलाएं इस पुस्तक पर ही आधारित हैं.