"भूखी पीढ़ी": अवतरणों में अंतर

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== भारत के बाहर स्वीकृति ==
[[चित्र:Malay Roychoudhury in Holland.JPG|thumb|right|मलय रॉय चौधुरी हॉलैन्ड में]]
 
[[चित्र:Hungry Generation Kathmandu 1965.jpg|thumb|right|200px|काठमाण्डू (1965) - करुणानिधन मुखोपाध्याय, मलय रॉय चौधुरी और अनिल करणजय]]
भुखी पीढी के सदस्यों पर मुकदमा दायर होने से पहले हि भारत के अखबारों में उन लोगों के बारे में बहुत सारे खबरें प्रकाशित हो रहे थे। संवाद भारत के बाहर भी जा पंहुचा। बिटनिक कवि एवम् सम्पादक लारेन्स फेरलिंघेट्टि ने अपने '''सिटि लाइटस ज्रर्नल''' के प्रथम संख्या ( १९६३ ) में सदस्यों के लेख प्रकाश कर अमरिका के साहित्यकारों में आग्रह पैदा किये। उसके पश्चात योरोप एवम् अमरिका में मानो भुखी पीढी के लेखन प्रकाश क्ररने का एक सिलसिला सा चल पडा। उनमें प्रधान-प्रधान प्रकाशन यंहां दिये गये:
* टाइम, ( नवम्बर, २०, १९६४ )